गुरु रमाकांत आचरेकर के एक थप्पड़ ने बदल दी थी सचिन तेंदुलकर की जिंदगी

क्रिकेट को ‘भगवान’ देने वाले कोच रमाकांत आचरेकर का बुधवार (2 जनवरी) को निधन हो गया. द्रोणाचार्य अवॉर्डी और पद्मश्री आचरेकर ने यूं तो हजारों क्रिकेटरों को प्रशिक्षण दिया. लेकिन उन्हें हमेशा सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के गुरु के रूप में ही पहचाना गया. कोच आचरेकर के बारे में यह बात मशहूर है कि वे बेहद सख्त कोच थे. इतने सख्त, कि यदि उनका कोई प्रशिक्षु अच्छा भी खेले, तब भी मुश्किल से ही खुशी जाहिर करते थे. आखिर उनके इसी अनुशासन की वजह से सचिन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर बने और प्रशंसकों ने उन्हें भगवान तक का दर्जा दे दिया.

सचिन तेंदुलकर बचपन में बेहद शरारती थे. जब सचिन 11 साल के थे, तब बड़े भाई अजीत तेंदुलकर उन्‍हें कोचिंग के लिए रमाकांत आचरेकर के पास लेकर गए. सचिन शुरुआती दौर में अनुशासित नहीं थे. इस मौके पर कोच के एक थप्पड़ ने सचिन की दुनिया बदलकर रख दी थी.

सचिन तेंदुलकर ने एक बार बताया था, ‘यह मेरे स्कूल के दिनों की बात है. मैं अपने स्कूल (शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल) की जूनियर टीम से खेल रहा था और हमारी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम (मुंबई) में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी. उसी दिन आचरेकर सर ने मेरे लिए प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था. उन्होंने मुझसे स्कूल के बाद वहां जाने के लिए कहा था. सर ने कहा, ‘मैंने उस टीम के कप्तान से बात की है, तुम्हें चौथे नंबर पर बैटिंग करनी है.’ सचिन ने बताया, ‘मैं उस प्रैक्टिस मैच को खेलने नहीं गया और वानखेडे स्टेडियम सीनियर टीम का मैच देखने जा पहुंचा. मैं वहां अपने स्कूल की सीनियर टीम को चीयर कर रहा था. खेल के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा. मैंने उन्हें नमस्ते किया. अचानक सर ने मुझसे पूछा कि आज तुमने कितने रन बनाए?  मैंने जवाब में कहा-सर,  मैं सीनियर टीम को चीयर करने के लिए यहां आया हूं. यह सुनते ही, आचरेकर सर ने सबके सामने मुझे एक थप्पड़ लगाया.’

मैं चाहता हूं कि लोग तुम्हारे लिए तालिया बजाएं 
सचिन ने अपने इस थप्पड़ के प्रकरण के बारे में आगे बताया, ‘कोच आचरेकर ने कहा कि तुम दूसरों के लिए तालियां बजाने के लिए नहीं बने हो. मैं चाहता हूं कि तुम मैदान पर खेलो और लोग तुम्हारे लिए तालियां बजाएं.’ सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उनके (आचरेकर) एक-एक शब्‍द अभी भी मुझे याद हैं.

Ramakant Achrekar
                                          सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली कोच रमाकांत आचरेकर के साथ. (फोटो: PTI) 

भेलपूरी खिलाकर खुशी जाहिर करते थे कोच आचरेकर 
सचिन तेंदुलकर ने एक बार बताया था, ‘(आचरेकर) सर बेहद सख्त थे. वे अनुशासन से समझौता नहीं करते थे, लेकिन ख्याल भी रखते थे और प्यार भी करते थे. सर ने मुझे कभी नहीं कहा कि तुम अच्छा खेले. वे तारीफ नहीं करते थे, लेकिन मुझे पता है कि जब सर मुझे भेलपूरी या पानी पूरी खिलाने ले जाते थे तो वे खुश होते थे. मैंने मैदान पर कुछ अच्छा किया था.’ कोच आचरेकर 1980 के दशक में सचिन तेंदुलकर को मध्य मुंबई के दादर के शिवाजी पार्क में कोचिंग देते थे.

एक प्रथमश्रेणी मैच खेला था आचरेकर ने 
सचिन तेंदुलकर जब पहली बार आचरेकर के पास पहुंचे तो उनकी उम्र 11 साल थी. यह भी संयोग ही है कि आचरेकर ने भी 11 की उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू किया था. हालांकि, वे कभी देश के लिए नहीं खेल पाए. सचिन ने अपनी किताब प्लेइंग इट माय वे में इसका जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है, ‘गुरु आचरेकर ने एक बार मुझे बताया था कि उन्होंने भी 1943 में 11 साल की उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू किया था. बाद में वे कई क्लबों के लिए खेले. इनमें गुलमोहर मिल्स और मुंबई फोर्ट भी शामिल हैं. उन्हें 1963 में एक प्रथमश्रेणी मैच खेलने का भी मौका मिला. उन्होंने यह मैच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से खेला था. लेकिन इससे आगे करियर नहीं बढ़ा सके.’

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