Akbar Vs Maharana Pratap: महाराणा प्रताप और अकबर पर राजस्थान में संग्राम, BJP का कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन

नई दिल्ली। राजस्थान में सरकार बदलते ही एक बार फिर से इस बात पर संग्राम छिड़ गया है कि महाराणा प्रताप महान थे या अकबर. कांग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्री के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को पलटवार करते हुए कहा कि अब इस मुद्दे पर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जवाब दें कि दोनों में कौन महान थे? साथ ही बीजेपी ने महाराणा प्रताप के बहाने राजपूत वोट बैंक को साधने के लिए राज्यभर में कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.

राजस्थान में पिछले साल पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए अकबर के आगे लगे शब्द महान को हटा दिया गया था. साथ ही महराणा प्रताप के नाम के आगे महान शब्द लगाया गया था. इसके अलावा यह भी लिख दिया गया था कि हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर नहीं, बल्कि महराणा प्रताप जीते थे. अब सरकार बदली, तो राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कह दिया कि पूरे पाठ्यक्रम की समीक्षा की जाएगी और यह देखा जाएगा कि महाराणा प्रताप और अकबर में कौन महान था? डोटासरा ने कहा, ‘अब नई सरकार बनी है, तो सभी पाठ्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी. मेरे मानने या नहीं मानने से क्या होता है?’

शिक्षा मंत्री की जुबान से यह बाहर निकलते ही बीजेपी ने इसे लपक लिया और राज्यभर में प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू कर दिया. बीजेपी दफ्तर में गुरुवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि अब इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बयान दें कि अकबर और महराणा प्रताप में कौन महान है? देवनानी ने आरोप लगाया कि अकबर के कारनामे ऐसे थे कि कांग्रेस दोनों को महान बनाने का दुस्साहस नहीं कर सकती है, इसलिए किसी एक को महान बनाना होगा.

पूर्व शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस अपने वीरों का अपमान कर रही है. देवनानी ने आरोप लगाया कि 2004 में कांग्रेस ने पाठ्यक्रमों में बदलाव किया था. पाठ्यक्रमों में बदलाव की फेहरिस्त गिनाते हुए बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पाठ्यक्रम से राम जैसे शब्द तक को हटा दिया था.

वासुदेव देवनानी ने कहा कि मंत्री इस तरह के बयान दे रहे हैं. लिहाजा अब मुख्यमंत्री गहलोत को जवाब देना चाहिए कि महराणा प्रताप महान थे या अकबर महान थे. दरअसल, इस बार के विधानसभा चुनाव में राजपूतों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ी थी. राजपूतों को बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. हालांकि इस बार राजपूत कांग्रेस के पाले में चले गए थे, जिसके चलते बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था.

बीजेपी की कोशिश है कि इस बहाने महराणा प्रताप के नाम पर एक बार फिर से राजपूत वोट बैंक को जोड़ा जाए. कांग्रेस समझती है कि महाराणा प्रताप के नाम पर इस तरह के विवाद से नुकसान हो सकता है. लिहाजा अपने राजपूत नेताओं को भी मैदान में उतार दिया है. उधर राजपूत संगठनों ने एक बार फिर से कांग्रेस के शिक्षा मंत्री का पुतला फूंकने का ऐलान किया है.

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