B’day Special: भारत का बेस्ट गेंदबाज जो कभी फिटनेस की वजह से टेस्ट टीम से बाहर नहीं हुआ

टीम इंडिया इस समय ऑस्ट्रेलिया दौरे में खिलाड़ियों की फिटनेस समस्या से जूझ रही है. हालांकि वह सीरीज जीतकर इतिहास रचने के करीब है. इस समय जब टीम के कई खिलाड़ी फिटनेस की समस्या से जूझ रहे हैं, एक ऐसे भारतीय गेंदबाज की बात होना लाजमी है जो कभी फिटनेस की वजह से टेस्ट टीम से बाहर नहीं हुआ. हम बात कर रहे हैं. भारत के सफलतम कप्तानों में से एक कपिल देव निखंज की जो रविवार को अपना 59वां जन्मदिन मना रहे हैं. कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को हुआ था. भारतीय क्रिकेट में कपिल देव को केवल एक महान खिलाड़ी ही नहीं बल्कि उनके अतुलनीय योगदान के लिए भी जाना जाता है.

1983 में कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता था. कपिल ने नई प्रतिभाओं को निखारने में भी अहम भूमिका निभाई. कपिल एक गेंदबाज के रूप में टीम में शामिल हुए, लेकिन जल्दी ही उन्होंने एक ऑलराउंडर के रूप में क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बना ली. कपिल उन पहले ऐसे खिलाड़ियों में से एक थे, जिन्होंने यह दिखाया कि छोटे शहरों से आई प्रतिभाएं भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना रुतबा कायम कर सकती हैं.

कभी फिटनेस की वजह से मिस नहीं किया कोई टेस्ट मैच
कपिल देव से जुड़ी एक सबसे बड़ी बात यह है कि वे चोट या खराब फिटनेस की वजह से कभी भी टेस्ट टीम से बाहर नहीं हुए. अपने लंबे करियर में कपिल देव ने फिटनेस की वजह से कभी कोई टेस्ट मैच मिस नहीं किया. उन्होंने अपने 16 साल के करियर में 131 टेस्ट मैच खेले. इसके अलावा उन्होंने अपने करियर में केवल एक टेस्ट मैच मिस किया जो कि फिटनेस की वजह से नहीं मिस किया था. इसके अलावा कपिल अपने टेस्ट करियर की 184 पारियों में कपिल देव कभी रन आउट नहीं हुए.

केवल एक बार बाहर होना पड़ा था टेस्ट टीम से
भारत को पहली बार वर्ल्ड चैम्पियन बनाने वाले कप्तान कपिल देव को भी टीम से बाहर होना पड़ा था. जून, 1983 में टीम इंडिया चैम्पियन बनी थी. इसके एक साल बाद दिसंबर, 1984 में कपिल देव को टीम से बाहर होना पड़ा था. ऐसा इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान हुआ था. इसी के बाद भारत के दो दिग्गज क्रिकेटर्स सुनील गावस्कर और कपिल देव के बीच विवाद सामने आया था. टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ होम टेस्ट सीरीज खेल रही थी. इसमें उसे 1-2 से हार का सामना करना पड़ा था. सीरीज का चौथा टेस्ट कोलकाता के ईडन गार्डन ग्राउंड पर होना था. इससे पहले ही कपिल देव को टीम से निकाल दिया गया. इसके पीछे सुनील गावस्कर का हाथ होने की बात सामने आई. तब गावस्कर टीम के कप्तान थे.

kapil dev Sunil gavaskar

सिलेक्टर्स हो गए थे कपिल से नाराज
दरअसल, इससे पहले दिल्ली में हुए तीसरे टेस्ट में कपिल देव ने कुछ ऐसा किया था, जिससे सिलेक्टर्स उनसे नाराज हो गए थे. कपिल देव और सुनील गावस्कर के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे.  इसके पीछे 1984 में हुई घटना को माना जाता है, जब कपिल देव टीम से बाहर कर दिए गए थे. गावसकर के मुताबिक, ‘दिल्ली टेस्ट के आखिरी दिन कपिल बैटिंग करते हुए बेहद खराब शॉट खेलकर आउट हुए थे. वो भी तब जब टीम मैच बचाने की कोशिश कर रही थी. अच्छे बैट्समैन के इस तरह आउट होने से नाराज सिलेक्टर्स ने कपिल को कोलकाता टेस्ट से ड्रॉप करने का फैसला लिया था.’  हालांकि, 2016 में गावस्कर ने एक इंटरव्यू में इस बारे में खुलासा करते हुए खुद को पूरे विवाद से दूर बताया था. उन्होंने कहा था हारती हुई सीरीज में कोई भी कप्तान अपने स्टार खिलाड़ी को बाहर करने जैसा काम नहीं करेगा.

पहले मैच में एक ही विकेट ले पाए थे कपिल 
कपिल ने इंटरनेशनल क्रिकेट का अपना पहला मैच 16 अक्टूबर 1978 को फैसलाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में खेला. इस मैच में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा और वे केवल एक विकेट ले सके थे. उन्होंने सादिक मोहम्मद को आउट किया. वे सबसे युवा खिलाडी़ थे जिन्होंने 100 विकेट लिए और 1000 रन बनाए. 8 फरवरी 1994 को श्रीलंका के हसन तिकलरत्ने को आउट करके कपिल ने रिचर्ड हैडली के 431 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ा था.

लंबे समय तक रिकॉर्ड रहे कपिल के नाम
रिटायर होने तक कपिल टेस्ट क्रिकेट में 434 विकेट ले चुके थे. अगले 8 साल उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड रहा. वेस्ट इंडीज के कर्टली वाल्श ने 2000 में उनका यह रिकॉर्ड तोड़ा. कपिल के नाम टेस्ट और वन डे में सबसे ज्यादा विकेट लेने का भी रिकॉर्ड रहा. 1988 में कपिल देव ने वन डे में जोएल गार्नर का रिकार्ड तोड़ा. उन्होंने अपने पूरे करियर में 253 वनडे विकेट लिए. उनके रिकॉर्ड को 1994 मे वसीम अकरम ने तोड़ा.

1983 का वर्ल्ड कप
कपिल देव को सबसे ज्यादा याद इस बात के लिए किया जाता है कि उनकी कप्तानी में ही टीम इंडिया ने 1983 का वर्ल्डकप जीता था. इस टूर्नामेंट में कपिल ने शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने 8 मैचों में 303 रन बनाए, 12 विकेट और 8 कैच लिए. जिंबाब्वे के खिलाफ उनकी 175 रनों की नाबाद अविश्वसनीय पारी ने टीम इंडिया को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाया था.

Kapil Dev

इसके बाद भारत ने वेस्ट इंडीज जैसी ताकतवर टीम को हराकर वर्ल्ड कप जीता. यह भारतीय क्रिकेट में मील का पत्थर और एक बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. आज की पीढ़ी की ज्यादातर भारतीय क्रिकेट सितारे इसी वर्ल्डकप से प्रेरित होकर क्रिकेटर बने थे जिसमें भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं.

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