वर्तमान में पत्रकारिता जगत में जो दिख रहा है ज़रूरी नही कि उसे पूरी पत्रकारिता का मापदंड बनाया जाए, क्योंकि पत्रकारिता के सिद्धांतों पर काम करने के ऐसे अनेक उदाहरण है जो पत्रकारिता को आज भी एक ऊंचे मापदंड पर रखते है। ऐसे ही हैं, उत्तर प्रदेश पत्रकारिता के आदर्श पत्रकार, हम सबके अग्रज नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव जिन्होंने पत्रकारिता के पूरे कार्यकाल में अपनी लेखनी, व्यवहारकुशलता, मृदुभाषी व्यवहार से ऐसा मुकाम हासिल किया कि सत्ता और विपक्ष दोनों ने ही उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त का दायित्व सौंपा और आयुक्त की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद भी अपने भाइयों से आपका स्नेह कम नही हुआ, आयुक्त की कुर्सी पर बैठ कर कद ऊंचा हुआ है लेकिन सादगी और साफ़गोई भी आसमान की बुलंदियों पर दिखती है, न कुर्सी का गुमान दिखा और न पद का अहंकार, हम थे वादी लेकिन आयुक्त की कुर्सी पर बैठे बैठे ही चाय पीने का फरमान जारी हुआ और वक़्त न होते हुए भी अग्रज के आदेशों का सम्मान करना हमारा भी नैतिक दायित्व बना।
सुनवाई कक्ष संख्या 10 में अति सामान्य दिखने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी एवं जन सूचना मामलों में आदेश सुनाते हुए भाई नरेंद्र का मजबूत विश्लेषणात्मक कौशल देखने को मिला वहीं गरीब बच्चों को स्कालरशिप न दिए जाने की सूचना पर व्यथित और व्याकुल दिखे भाई नरेंद्र और तत्काल नोटिस जारी करवा कर कार्यवाही करने का आदेश जारी कराया, सभी वादियों को न्याय देकर संतुष्टि का एहसास आयुक्त के आभामंडल पर दिख रहा था, फिर शुरू हुआ चाय पर चर्चा का दौर और आज़ादी के आंदोलन के मतवाले अशफ़ाक़ उल्ला खान, बिस्मिल की शाहजहांपुर सरज़मीन से धार्मिक और पौराणिक विजयगढ़ और चुनार के किलो के रहस्यों पर चर्चा का ये दौर चंद्रकांता की तिलस्मी दुनिया से होता हुआ सोनभद्र की नक्सली समस्यओं के निराकरण और निवारण तक जा पहुंचा पता ही नही चला। भाई नरेंद्र के पास इतिहास, समाज, धर्म, अर्थ और राजनीतिक के ज्ञान का भंडार है जितना एक क्लिक में गूगल बाबा के पास ज्ञान नही मिलेगा उतना एक चाय के साथ मिल गया और भविष्य में सोनभद्र जिले।के अनकहे, अनछुए प्राकृतिक सौंदर्य में आईना की संघोष्ठी आयोजित करने का इरादा भी बना लिया गया।
भाई नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव जिस तरह पत्रकारिता जगत का प्रतिनिधित्व करते हुए सूचना आयुक्त के पद पर कार्यरत है उसमें उनकी विद्वता एवं अध्ययन क्षमता परिलक्षित है ही, वही पत्रकारीय दायित्वबोध व शालीनता उनके स्वभाव में दिखाई देता है। डिजिटल युग की भागमभाग दुनिया और ब्रेकिंग पत्रकारिता के नाम पर जो व्यवहार हो रहा है वो पत्रकारिता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए पत्रकारों के लिए बड़ी चुनौती है। पत्रकारों को चाहिए कि वह बिना किसी दबाव में राष्ट्र हित को ध्यान में रखकर पत्रकारिता करें और अपनी कलम के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का काम करें। आदर्श पत्रकार के रूप में नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा जो पत्रकारिता का अध्याय लिखा गया है वो वर्तमान में पत्रकारिता क्षेत्र में चार चांद लगाने के लिए पर्याप्त है।