अखिलेश दे सकते हैं जवाब
पार्टी नेताओं का कहना है कि खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष इस मुद्दे पर अपनी बात जनता के सामने रख सकते हैं. लेकिन पार्टी के भीतर ये चर्चा जरूर है कि अगर रामचरितमानस में यह चौपाई लिखी है तो फिर क्यों न बीजेपी से पूछा जाए कि क्या वह इन चुनिंदा चौपाइयों से सहमत है!
जानकारों की मानें तो इस बयान के दो पहलू हैं, एक इसका धार्मिक पहलू है और दूसरा सामाजिक. सपा के भीतर दोनों पहलुओं पर विचार हो रहा है. पार्टी का मानना है कि ऐसे बयान से पार्टी को नुकसान हो सकता है. वहीं, सपा का अंबेडकरवादी जो धड़ा है उसका मानना है कि इस बहाने अगर दलितों, महिलाओं और पिछड़ों के बारे में इस धर्म ग्रंथ में कुछ लिखा गया है तो उस पर बहस होने देना चाहिए. इसमें कोई बुराई नहीं.
BJP ने बताया सपा का एजेंडा
वहीं बीते दिन बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान समाजवादी पार्टी का एजेंडा है. वह तुष्टिकरण और हिंदुओं को अपमानित करने के लिए जानबूझकर रामचरितमानस का अपमान कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा में थे, तब ऐसी बदजुबानी नहीं करते थे. उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद के बयान का खामियाजा सपा को भुगतना पड़ेगा. चुनावों में जनता ईवीएम का बटन दबाकर इसका जवाब देगी.