मणिपुर में जातीय हिंसा को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है। मणिपुर हाई कोर्ट बार असोसिएशन ने ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राज्य में हिंसा की सबसे बड़ी वजह भारी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ है। वहीं केंद्र सरकार ने भी बार असोसिएशन की इस बात का समर्थन किया। इससे संबंधित दस्तावेज भी सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए।
बार असोसिएशन की तरफ से सीनियर वकील रंजीत कुमार ने दस्तावेजों की एक प्रति कोर्ट को सौंपते हुए कहा कि मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रोहिंग्या मुसलमानों की अवैध घुसपैठ हो रही है। यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध घुसपैठ की वजह से नशे का व्यापार भी बढ़ा है। वहीं केंद्र और मणिपुर सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, इस अजेंडे के पीछे पूरी प्रक्रिया है।
वहीं कुकी समुदाय के संगठन की ओर से पेश हुए वकील कोलिन गोंसालवीस ने कहा कि आदिवासियों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है इसलिए आदिवासी गांवों में सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया जाए। सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, 70 साल के इतिहास में सुप्रीम कोर्ट ने सेना को कभी निर्देश नहीं दिया। लोकतंत्र में सेना सिविलियन कंट्रोल में रहती है। जो हमारे देश का मजबूत हिस्सा रहा है उसका उल्लंघन करना उचित नहीं होगा इसलिए कोर्ट सेना को कोई आदेश नहीं देगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त हिदायत देते हुए कहा कि कोई भी पार्टी नफरती भाषण ना दे। कोर्ट ने कहा कि मणिपुर और केंद्र की सरकार पर लोगों का जीवन बचाने के लिए दबाव बनाया जाएगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्य में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए मंच के रूप में सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने मणिपुर के जातीय समूहों को संयम रखने की सलाह दी और कहा कि व्यवस्था तंत्र को स्थापित करना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।