ममता बनर्जी की रैली में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा, BJP ने दिए कार्रवाई के संकेत

पटना। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से बागी तेवर अपना चुके पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कोलकाता में आयोजित ममता बनर्जी की रैली में शामिल हुए. यह बात उनकी पार्टी बीजेपी को रास नहीं आयी. पार्टी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि वह मेरे गृह राज्य से आते हैं और खुद को बीजेपी का एमपी बताते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि हमन कई वर्षों से उन्हें देखा तक नहीं है.

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह (शत्रुघ्न सिन्हा) काफी चालाक हैं. कई बार जब पार्टी व्हिप जारी करती है तो सदस्यता बचाने के लिए सदन में आते हैं और वोटिंग के समय बटन दबाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. उन्हें डर लगा रहता है कि कहीं उनकी सदस्यता नहीं चली जाए.

रूडी ने कहा कि उनकी इच्छा इतनी अधिक है कि वह रैली में शामिल होने के लिए कोलकाता पहुंच गए. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि पार्टी इसपर विचार करेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कई बार कुछ लोगों का संदर्भ ही खत्म हो जाता है तो पार्टी भी देखना बंद कर देती है.

रैली को संबोधित करते हुए देश के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘हम सब यहां पर क्यों इकट्ठा हुए हैं? बीजेपी को मैंने छोड़ दिया, मैं जनता हूं बीजेपी की क्या प्रतिक्रिया होगी.  हम सब जानते हैं की पिछले 56 महीने में जो कुछ भी हुआ है. इससे देश की स्वतंत्रता को कितना खतरा पहुंचा है. कोई भी ऐसा इंस्टीटूशन नहीं जिसको इन्होंने बर्बाद नहीं किया हो. उन्होंने कहा कि यह पहली सरकार है, जिसने आंकड़ों के छेड़छाड़ किया है.

शनिवार को होने वाली रैली से पहले ममता बनर्जी ने कहा है कि इस बार बीजेपी 125 सीटों के भीतर सिमट जाएगी. 41 साल बाद कोलकाता में विपक्ष का इतना बड़ा जमावड़ा लग रहा है. रैली का आयोजन कर रही तृणमूल कांग्रेस ने कहा, “क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि बीजेपी ने इसे विपक्ष का डर कहा है. साल 1977 में ज्योति बसु ने कोलकाता के मंच से ही कांग्रेस के खिलाफ बिगुल फूंका था

ज्ञात हो कि इससे पहले पार्टी में रहते हुए जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी पार्टी में रहते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की रैली में शामिल हुए थे. पार्टी ने कार्रवाई करते हुए उनकी राज्यसभा की सदस्यता खत्म करने के लिए उपराष्ट्रपति सह राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा था. जेडीयू की याचिका पर कार्रवाई करते हुए सभापति ने उनकी सदस्यता खत्म कर दी थी.

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