रायबरेली/लखनऊ। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत देकर राजनीतिक दलों की धड़कनों को बढ़ा दिया है. प्रियंका गांधी से रायबरेली में पार्टी कार्यकर्ता ने चुनाव लड़ने की मांग की तो उन्होंने पलटकर कार्यकर्ताओं से ही पूछ लिया कि वाराणसी से चुनाव लड़ूं क्या? इस बात के राजनीतिक मायने निकाले जाएं तो साफ है कि इस बार वाराणसी के सियासी संग्राम में मोदी बनाम प्रियंका के बीच चुनावी जंग हो सकती है.
बता दें कि कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका इन दिनों तीन दिनों के उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं. बुधवार को प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र अमेठी में थीं. वहीं गुरुवार को वो पूरे दिन अपनी मां सोनिया गांधी के क्षेत्र रायबरेली में रहीं. रायबरेली में प्रियंका कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थीं.
इसी दौरान कांग्रेस के उत्साहित कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी से कहा आप चुनाव लड़िए. इससे पूरे पूर्वांचल में पार्टी के हक में जबरदस्त हवा बनेगी. इतना सुनते ही प्रियंका गांधी ने हल्के-फुल्के अंदाज से कहा कि वाराणसी से लड़ जाऊं क्या? प्रियंका का इतना कहना था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश दोगुना हो गया और वो प्रियंका गांधी जिंदाबाद के नारे जोर-शोर से लगाने लगे.
दिलचस्प बात ये है कि प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ने के सवाल पर सूबे के किसी ऐसे सीट का नाम नहीं लिया बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की बात कही है. यही नहीं, प्रियंका गांधी ने राजनीति में कदम रखा था और पूर्वी यूपी की कमान सौंपी गई थी. इसी के बाद से सियासी कयास लगाए गए थे कि नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए कांग्रेस प्रियंका को वाराणसी से उतार सकती है.
पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ कह जाने वाले पूर्वांचल की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी के हाथों में हैं. ऐसे में अगर प्रियंका गांधी वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ लड़ती हैं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी, क्योंकि अब तक उन्हें जो भी चुनौतियां मिली हैं उसका उन्होंने सामना किया है. प्रियंका गांधी ने यूपी की राजनीतिक लड़ाई को त्रिकोणीय बनाती जा रही हैं.
वाराणसी में प्रियंका के आने से बढ़ा सियासी तापमान अभी उतरा भी नहीं था कि उन्होंने वाराणसी से चुनाव लड़ने की बात कहकर उसे फिर से बढ़ा दिया है. जाहिर है अब उनके इस बयान को प्रयाग से मोदी के गढ़ वाराणसी की गंगा यात्रा से जोड़कर देखा जाएगा. प्रियंका के इस फैसले से बीजेपी के खेमे में हलचल बढ़ गई है.
हालांकि वाराणसी बीजेपी का गढ़ मानी जाती है लेकिन प्रधानमंत्री की सीट होने के चलते बीजेपी कोई कोर कसर रखना नहीं चाहेगी. पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल को करीब 3 लाख 70 हजार मतों मात दी थी.
जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा सीट पर सातवें चरण में वोट डाले जाएंगे. यहां के जातीय समीकरण को देखें तो ब्राह्मण, वैश्य और कुर्मी मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं. करीब तीन लाख वैश्य, ढाई लाख कुर्मी, ढाई लाख ब्राह्मण, तीन लाख मुस्लिम, 1 लाख 30 हजार भूमिहार, 1 लाख राजपूत, पौने दो लाख यादव, 80 हजार चौरसिया, एक लाख दलित और एक लाख के करीब अन्य ओबीसी मतदाता हैं.
हालांकि बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) के साथ गठबंधन करके कुर्मी वोट को एक बार फिर साधने की कवायद की है. जातिगत लिहाज से इस सीट पर सवर्ण वोट बैंक असरदायक माना जाता है. नरेंद्र मोदी के प्रत्याशी हो जाने के बाद 2014 में जिस तरह से तस्वीर बदली, वह किसी से छुपी नहीं है. बीजेपी को वैश्य, बनियों और व्यापारियों की पार्टी माना जाता है.