मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को इतनी जल्दी इतना बड़ा झटका कैसे लगा?

नई दिल्ली। अभी बीते अप्रैल के महीने में जब लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार जोरों पर था तो मध्य प्रदेश के भोपाल में एक दिलचस्प वाक़या हुआ. भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह उस रोज एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. अपने भाषण के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की वादाख़िलाफ़ी का मसला उठाया. उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने 2014 के चुनाव से पहले वादा किया था कि उसकी सरकार बनी तो वह विदेश में मौज़ूद देश का काला धन वापस लाएगी. इससे देश के हर नागरिक के बैंक ख़ाते में 15 लाख रुपए आएंगे.’ फिर उन्होंने सामने बैठे लोगों से सीधा सवाल किया, ‘किसी के ख़ाते में 15 लाख रुपए आए क्या? आए हों तो हाथ खड़ा करे.’

इसके बाद जो हुआ उसकी किसी को शायद उम्मीद नहीं रही होगी. दिग्विजय सिंह के सवाल के ज़वाब में सामने बैठे युवक ने हाथ उठाया तो उसे मंच पर बुला लिया गया. दिग्विजय ने उससे कहा, ‘यहां आओ, अपना बैंक ख़ाता लाओ. हम तुम्हारा नागरिक अभिनंदन करेंगे कि तुम्हारे ख़ाते में 15 लाख रुपए आए हैं.’ इस पर उस युवक ने मंच पर ही माइक अपनी तरफ़ करके ज़वाब दिया, ‘मोदी जी ने सर्जिकल स्ट्राइक की. आतंकियों को मारा. अपने 15 लाख तो पट गए.’ इतना सुनते ही मंच पर बैठे एक अन्य नेता ने लगभग धकियाते हुए उस युवक काे नीचे उतार दिया. वहीं दिग्विजय सवाल करते रह गए, ‘तुम्हें 15 लाख मिले या नहीं? रोज़गार मिला या नहीं.’

लेकिन पटैरया को इन अनुमानों पर अचरज नहीं है. वे कहते हैं, ‘इस चुनाव की जो सबसे ख़ास बात रही वह ये कि इसमें पहली, दूसरी और तीसरी बार के युवा मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. और उन्हें मतदान केंद्र तक लाने में जिस कारक ने सबसे अहम भूमिका निभाई वह है- सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक.’

पटैरया आगे जोड़ते हैं, ‘मैं चुनाव कवरेज के दौरान बड़ी तादाद में युवाओं से मिला. उनसे बात की. इस दौरान उनमें इस बात को लेकर लगभग एकराय दिखी कि पाकिस्तान में घुसकर सैन्य कार्रवाई या लड़ाकू विमानों से बमबारी करने का फ़ैसला सिर्फ़ नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री ही ले सकता है. इसलिए उनके हाथ मज़बूत करने के लिए वोट देना है. फिर भले स्थानीय प्रत्याशी कोई, कैसा भी हो. इन मतदाताओं के लिए दूसरे तमाम मुद्दे पीछे रह गए लगते हैं. उन्हें इससे भी ज़्यादा फ़र्क़ नहीं कि सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक में कितने आतंकी मारे गए. उनके लिए मायने ये रखता है कि भारत ने पाकिस्तान में घुसकर उसे सबक सिखाया है. नतीज़ाें में इसने निर्णायक भूमिका निभाई.’

एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार अनुराग उपाध्याय कहते हैं, ‘मध्य प्रदेश में सभी सीटाें पर लगभग 10 फ़ीसदी तक मतदान बढ़ा है. यही अपने आप में प्रमाण है कि मतदाताओं ने इस बार निर्णायक मत दिया है. तिस पर युवाओं में सर्जिकल स्ट्राइक जैसे साहसिक फ़ैसलों की वज़ह से नरेंद्र मोदी के समर्थन में जो उत्साह दिखा है उसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता.’

अधिकतर एग्ज़िट पोलों में राजस्थान में कांग्रेस को 25 में से सिर्फ़ तीन सीटें मिलने की बात कही गई थी. एक एग्ज़िट पोल तो कांग्रेस का खाता तक नहीं खुलने की भी भविष्यवाणी थी. ताजा रुज्ञान भाजपा को 24 सीटों पर आगे दिखा रहे हैं. इस पर कुछ विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह विधानसभा चुनाव से पहले और सरकार बनने के बाद भी कांग्रेस में आपसी सिर फुटव्वल देखने को मिली है, उसके अनुसार तो कांग्रेस का प्रदर्शन तुलनात्मक तौर पर गिरना स्वाभाविक था. लेकिन इस कदर गिरावट देखकर इन्हें भी हैरानी है.

लेकिन प्रदेश में जानकारों का एक तबका ऐसा भी है जो मानता है कि सत्ता गंवाने के बाद भी भाजपा अगर इतना जबरदस्त प्रदर्शन कर पाई तो इसका मतलब है कि वह राजशाही इतिहास वाले राजस्थान में पुलवामा हमले को भुना पाने में पूरी तरह सफल रही है. एक अन्य वरिष्ठ राजनीतिकार इस बारे में कहते हैं, ‘विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में एक नारा ख़ूब कहा-सुना गया था. वो था- मोदी तुमसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी ख़ैर नहीं!’

छत्तीसगढ़

बीते साल 11 दिसंबर को राजस्थान और मध्य प्रदेश की तुलना में छत्तीसगढ़ के जनादेश ने कांग्रेस नेतृत्व के चेहरे पर सबसे पहले मुस्कान बिखेरी थी. विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों ने अधिकांश पूर्वानुमानों को गलत साबित किया था. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने 15 वर्षों से सत्ता पर काबिज भाजपा को करारी मात दी थी जो 90 में से 68 सीटें जीती थी. भाजपा केवल 15 सीटों पर सिमट गई थी. इसके बाद माना गया कि लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज करेगी.

ऐसा क्यों हुआ? कुछ जानकार मानते हैं कि इसकी वजह कांग्रेस का अतिआत्मविश्वास हो सकता है. उसे विश्वास था कि विधानसभा चुनाव में किए गए अधिकांश वादे उसने निभाए हैं और यह भी कि केवल छह महीनों में ही जनता उससे अपना मुंह नहीं फेर सकती.

उधर, बाकी राज्यों की तरह भाजपा ने छत्तीसगढ़ में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगे. पार्टी ने राज्य के अपने सभी 10 सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया. इस कदम से यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई कि मौजूदा सांसदों से जनता की नाराजगी की वजह से पार्टी को नुकसान न उठाना पड़े. चुनावी प्रचार अभियान के दौरान बालाकोट एयर स्ट्राइक सहित अन्य मुद्दों के जरिए मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश की गई. वहीं, उज्ज्वला योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य केंद्रीय योजनाओं को बतौर मोदी सरकार की उपलब्धि पेश किया गया. यह रणनीति कामयाब रही.

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