नई दिल्ली। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक चल रही है. बैठक से पहले राहुल गांधी ने इस्तीफे की इच्छा जताई थी. इस पर राहुल को प्रियंका गांधी और मनमोहन सिंह ने समझाया है. मनमोहन सिंह ने कहा कि हार जीत लगी रहती है, इस्तीफे की जरूरत नहीं है. अभी बैठक में मंथन जारी है.
सूत्रों के मुताबिक, 23 मई को राहुल ने सोनिया गांधी से इस्तीफा देने की बात कही थी. इस पर उन्होंने (सोनिया) राहुल से कांग्रेस वर्किंग कमेटी में अपनी बात रखने को कहा था. आज राहुल इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन बैठक से पहले प्रियंका गांधी और मनमोहन सिंह ने राहुल को समझाया.
इसके बाद राहुल बैठक में आ गए हैं. बैठक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य अपनी बात रख रहे हैं. सदस्यों का राहुल से कहना है कि आप इस्तीफा मत दीजिए. आप काम कीजिए. राहुल आखिर में अपनी बात रखेंगे.
हार पर मंथन कर रहे हैं दिग्गज
मोदी की सुनामी में कांग्रेस की जो गत हुई, उससे हर कोई हैरान है. हार पर मंथन करने के लिए कांग्रेस के दिग्गज इकट्ठा हुए हैं. इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहुंचे हैं.
52 सीटों पर जीती कांग्रेस, अमेठी से हारे राहुल
2014 के मुकाबले इस चुनाव में कांग्रेस की सिर्फ 8 सीटें बढ़ीं हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 44 सीट जीती थीं. जबकि इस बार पार्टी को महज 52 सीट मिली हैं, जिससे उसे लोकसभा में विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिलेगा. इसके लिए भी 54 का आंकड़ा चाहिए. राहुल गांधी भले ही वायनाड से बंपर वोटों से जीत गए हों. लेकिन कांग्रेस के गढ़ अमेठी पर अब भगवा लहरा रहा है. स्मृति ईरानी ने राहुल को 55 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी.
हालांकि, बैठक को लेकर कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है. लेकिन कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि राहुल का इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाएगा और पार्टी उनके नेतृत्व में ही काम करेगी. कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की करारी हार के कारणों की समीक्षा भी की जाएगी, जहां पार्टी ने 5 महीने पहले ही सरकार बनाई है.
कर्नाटक पर भी मंथन
कर्नाटक भी उसके लिए परेशानी का सबब है, जहां की 28 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 25 सीट जीतीं. राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ रही कांग्रेस का 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में खाता तक नहीं खुला. पार्टी लक्षद्वीप, दमन एवं दीव, चंडीगढ़, राजस्थान, दादर एवं नगर हवेली, सिक्किम, मिजोरम, दिल्ली, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, मणिपुर और नगालैंड में एक सीट भी नहीं जीत पाई. कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों ने राज्यों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा पहले ही राहुल गांधी को भेज दिया है.
राज बब्बर ने भी दिया इस्तीफा
राहुल गांधी के इस्तीफे की बात सामने आने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने भी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है. यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर जैसे नेताओं ने अचानक सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश में मिली बड़ी हार की बात को स्वीकारते हुए खुद को इसके लिए जिम्मेदार बताया.
बब्बर ने ट्वीट किया, ‘जनता का विश्वास हासिल करने के लिए विजेताओं को बधाई. यूपी कांग्रेस के लिए परिणाम निराशाजनक हैं. अपनी जिम्मेदारी को सफल तरीके से नहीं निभा पाने के लिए खुद को दोषी पाता हूं. नेतृत्व से मिलकर अपनी बात रखूंगा.’
ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा. उन्होंने कहा, ‘मैंने राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) को अपना इस्तीफा भेजा है.’ राज्य में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, वहीं दिग्गज नेताओं ने अपनी सीट भी गंवा दी.
इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
सीडब्ल्यूसी में कांग्रेस के चुनावी कैंपेन को लेकर भी चर्चा हो सकती है. माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी पर निजी हमले करने (चौकीदार चोर है), राफेल मुद्दे को अन्य मुद्दों से ज्यादा तूल देने, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे को सही से न भुनाने, सैम पित्रौदा और मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं के विवादित बयानों को भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती.
सत्ता के गलियारों में चर्चा यह भी है कि अगर राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़े रहते हैं तो कांग्रेस की कमान कौन संभालेगा. कुछ नेताओं का मानना है कि कांग्रेस का वजूद गांधी परिवार से ही है. अगर बागडोर किसी अन्य को दी जाती है तो हो सकता है कि पार्टी बिखर जाए. रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि राहुल गांधी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही इस्तीफा देना चाहते थे.
उन्होंने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के सामने इसकी पेशकश भी की थी. लेकिन सोनिया ने उनसे कहा कि वह जो भी कहना चाहते हैं कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में कहें. इस पर राहुल मान गए. अब सबकी नजरें सीडब्ल्यूसी की बैठक पर टिकी हैं, जिसके बाद ही तस्वीर साफ होगी.