पहले पड़ोसियों की मेजबानी तो अब उनसे घर मिलने जाएंगे पीएम मोदी

नई दिल्ली। चुनाव के बाद सत्ता में दोबारा लौटी नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति में पड़ोसी पहले का सूत्र पहले ही हफ्ते में साफ कर दिया है. अपने शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिमस्टेक कुनबे के पड़ोसी देशों समेत 8 मुल्कों के नेताओं की मेजबानी की. वहीं सत्ता की कमान संभालने के बाद पीएम अब महत्वपूर्ण पड़ोसियों के घर जाकर भी मुलाकात का सिलिसला शुरु कर रहे हैं. इस कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी जहां 8-9 जून को मालदीव और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों का दौरा करेंगे. वहीं भारत के महत्वपूर्ण पड़ोसी भूटान से संवाद के लिए नए विदेश मंत्री एस जयशंकार को भी मोदी सरकार थिंपू भेजा रही है. जयशंकर 7-8 जून को भूटान में होंगे.

हालांकि पड़ोसियों से संवाद-संपर्क की इस कड़ी में सरकार ने यह जरूर स्पष्ट कर दिया है कि वो फिलहाल पाकिस्तान से दूरी बनाए रखना चाहती है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को जहां प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के पड़ोसी मुल्कों के दौरे की जानकारी साझा की वहीं यह भी साफ कर दिया कि 13-14 जून को किर्गीस्तान की राजधानी बिश्केक में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के हाशिए पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की किसी द्विपक्षीय मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं हैं.

मलादीव की मजलिस को करेंगे संबोधित
इस बीच विदेश मंत्रालय के मुताबक पीएम मोदी 8 जून को मालदीव पहुंचेंगे जहां शाम को वो मालदीव की संसद को संबोधित करेंगे. साल 2011 के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला द्विपक्षीय मालदीव दौरा है. यूं तो पीएम मोदी नवंबर 2018 में भी माले गए थे मगर उस वक्त उनकी यात्रा नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में बतौर खास मेहमान ही थी. विदेश सचिव विजय गोखले के मुताबिक पीएम मोदी राजकीय यात्रा पर मालदीव जा रहे हैं. मालदीव में इस तरह की राजकीय यात्रा का दर्जा केवल राष्ट्राध्यक्षों को दिया जाता है मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए खास सम्मान दर्शाते हुए उनके दौरे को यह मान दिया जा रहा है. यात्रा के दौरान 8 जून की शाम पीएम मोदी मालदीव की संसद यानी मजलिस को भी संबोधित करेंगे. मोदी का संबोधन भारतीय समयानुसार शाम करीब 7:15 बजे होगा.

मालदीव के लिए मदद की सौगात भी ले जाएंगे मोदी
माले यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के साथ दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं का संयुक्त उद्घाटन भी करेंगे. इसमें तटीय निगरानी रडार तंत्र और मालदीव सेना के लिए समेकित प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं. करीब 180 करोड़ रुपये की मदद से बनी इन दोनों परियोजनाओं का रिमोट उद्घाटन किया जाएगा. इसके अलावा दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर भी दस्तखत की उम्मीद है. विदेश सचिव के मुताबिक भारत और मालदीव करेंसी स्वॉप (एक-दूसरे की मुद्रा में कारोबार) समझौते को भी अंतिम शक्ल देनें में जुटे हैं. इन समझौतों में जहाजरानी, सीमा शुल्क, सिविल सर्वेंट प्रशिक्षण और परस्पर कानूनी सहायता जैसे मुद्दे शामिल हैं.

विकास परियोजनाओं में भारत की ओर से घोषित 80 करोड़ डॉलर की सहायता राशि के तहत भी फिलहाल तीन परियोजनाओं को चिह्नित कर लिया गया है. विदेश सचिव के अनुसार इसमें मालदीव के आबादी वाले 36 द्वीपों में जल प्रदाय व पानी के निकासी की व्यवस्था, शहरी विकास केंद्र की स्थापना और छोटे व मझौले उद्योगों की वित्तपोषण परियोजना शामिल है.

मालदीव को क्रिकेट सिखाएगा भारत
विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि मालदीव के आग्रह पर भारत उसे क्रिकेट के गुर भी सिखाएगा. गोखले के मुताबिक राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह क्रिकेट के फैन हैं और भारत के न्यौते पर अप्रैल 2019 में वो आईपीएल मैच देखने बैंगलुरु भी आए थे. इस दौरान उन्होंने मालदीव में क्रिकेट सुविधाओं के विकास में मदद का आग्रह किया था. इस पर कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार ने बीते दिनों मालदीव को कुछ क्रिकेट किट दी हैं. साथ ही मालदीव में एक क्रिकेट स्टेडियम बनाकर देने की तैयारी भी भारत कर रहा है. इसके लिए लाइन ऑफ क्रेडिट या अन्य किसी सहायता तंत्र का इस्तेमाल संभव है. प्रस्तावित क्रिकेट सहायता के तहत भारत में मालदीव के महिला व पुरुष खिलाडियों की ट्रेनिंग व मालदीव में उनके प्रशिक्षण के लिए व्यवस्था की जाएगी. अंपायर, स्कोरर व कोच ट्रेनिंग में भी भारत मदद देगा. प्रयास होगा कि जल्द ही मालदीव अपनी एक राष्ट्रीय क्रिकेट टीम भी बना सके.

विदेश सचिव के मुताबिक इस तरह के क्रिकेट सहयोग को भारत एक अवसर की तरह देखता है. इससे लोगों के बीच पारस्परिक सम्बन्धों को मजबूत करने में मदद मिलेगी. भारत ने इसी तरह अफगानिस्तान को भी क्रिकेट टीम बनाने में मदद दी थी.

केरल से मालदीव फेरी चलाने की योजना
मालदीव के साथ सीधा संपर्क बढ़ाने की कवायद में भारत सरकार कोच्ची से मालदीव तक फेरी सेवा शुरु करने पर भी काम कर रही है. विदेश सचिव के मुताबिक इस योजना पर सक्रियता से काम हो रहा है और इसके शुरु हो जाने पर दोनों देशों के बीच संपर्क को मजबूत करने में काफी मदद मिलेगी.

श्रीलंका के घावों पर भी मदद का मरहम रखेंगे मोदी
मालदीव के बाद 9 जून को पीएम मोदी भारत वापसी से पहले श्रीलंका जाएंगे. श्रीलंका में 21 अप्रैल को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद पहुंच रहे पीएम मोदी की कोशिश पड़ोसी मुल्क को हर संभव मदद का भरोसा देने की होगी. सिलिसलेवार बम धमाकों से दहले श्रीलंका का दौरा करने वाले पीएम मोदी पहले विदेशी नेता हैं. विदेश सचिव गोखले के मुताबिक पीएम की तरफ से यह बहुत स्पष्ट संदेश है कि मुश्किल की इस घड़ी में भारत सरकार और भारत के लोग श्रीलंका की सरकार और उसकी जनता के साथ खड़े हैं.

धमाकों से दहले चर्च भी जाएंगे मोदी
सरकारी सूत्रों के मुताबिक श्रीलंका में पीएम मोदी का कार्यक्रम उस सेंट एंथनी चर्च जाने का भी है जहां 21 अप्रैल को आत्मघाती हमला हुआ था. कोलंबो शहर के इस प्राचीन चर्च में ईस्टर प्रार्थना सभा के दौरान भीषण बम धमाका हुआ था जिसमें अनेक मासूमों ने जान गंवाई थी. आतंकियों ने 21 अप्रैल के हमले में सेंट एंथोनी चर्च समेत 7 जगहों को निशाना बनाया था जिसमें कुल तीन चर्च और चार होटल शामिल थे. महत्वपूर्ण है कि भारत ने इस हमले की पूर्व सूचना श्रीलंका सरकार को दी थी. मगर उसपर माकूल कार्रवाई नहीं हो पाई और जिसका खामियाजा 30 विदेशी नागरिकों समेत 200 से अधिक मासूम लोगों की जान ने उठाया.

सुरक्षा सहयोग होगा भारत-श्रीलंका वार्ता का अहम मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कुछ घंटो की कोलंबो यात्रा के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और पूर्व राष्ट्रपति महिंद राजपक्षे समेत कई नेताओं से मुलाकात करेंगे. भारत के श्रीलंका के उच्चायुक्त ऑस्टिन फर्नांडो ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि दोनों देशों के नेतृत्व के बीच होने वाली बातचीत में सुरक्षा सहयोग एक अहम मुद्दा होगा. सूचनाओं के आदान-प्रदान के अलावा किस तरह दोनों देश सक्रिय सुरक्षा सहयोग कर सकें इस पर बात होगी.

आतंकवाद की चुनौती से मुकाबले के लिए बिम्सटेक के परचम तले नई आतंकवाद रोधी व्यवस्था की संभावना के बारे में पूछे जाने पर फर्नांडो ने कहा कि चरमपंथ और आतंकवाद इस क्षेत्र के लगभग सभी देशों की समस्या है. साथ ही 21 अप्रैल के धमाकों ने बता दिया है कि इस अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का दायरा किसी भी एक देश तक सीमित नहीं है. ऐसे में अगर सुरक्षा सहयोग की कोई भी व्यवस्था बनती है तो यह सभी के हित में होगी. श्रीलंका इसके लिए भारत के साथ सहयोग करेगा.

आतंकवाद के खिलाफ सहयोग के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि यह एक साझा समस्या है और श्रीलंका समेत किसी भी पड़ोसी देश को यदि भारत की मदद की जरूरत होगी तो हम आवश्यकतानुसार हर संभव मदद सहायता मुहैया कराएंगे. द्विपक्षीय स्तर पर पहले ही दोनों देशों के बीच सूचना साझेदारी के तंत्र मौजूद हैं.

पहले विदेश दौरे पर भूटान जाएंगे जयशंकर
विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक नए विदेश मंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा पर 7-8 जून को भूटान जाएंगे. यह बताता है कि भारत अपने करीबी दोस्त और पड़ोसी भूटान के साथ रिश्तों को कितनी अहमियत देता है. यात्रा के दौरान विदेश मंत्री भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, प्रधानमंत्री लौते शेरिंग और विदेश मंत्री ल्योनपो तण्डी दोरजी से मुलाकात करेंगे. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच आर्थिक विकास और जल विद्युत विकास पर चर्चा होगी. वहीं विदेश मंत्री की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल्द संभावित भूटान यात्रा की भी जमीन तैयार करेगी.

महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार अपनी दूसरी पारी में उन पड़ोसी मुल्कों के साथ संपर्क और संवाद गहरे करना चाहती है जिनके साथ कोई सीमा-विवाद नहीं है. यही वजह है कि पड़ोसी पहले और सागर यानी सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन जैसे सिद्धांतों पर अमल को खासी तवज्जो के साथ बढ़ाने का प्रयास हो रहा है. भारत की कोशिश बेल्ट एंड रोड कार्यक्रम के साथ एशिया और अफ्रीका में तेजी से पैर पसार रहे चीन के मुकाबले अपने संपर्कों के साथ एक सुरक्षा घेरा बनाने की भी है.

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