तीन तलाक बिल के विरोध में कांग्रेस, JDU भी नहीं देगी सरकार का साथ

नई दिल्ली। कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि वह संसद में तीन तलाक विधेयक का विरोध करेगी. कांग्रेस ने कहा कि विधेयक के कुछ प्रावधानों पर चर्चा की जरूरत है. वहीं सरकार की सहयोगी जनता दल युनाइटेड भी इस विधेयक के खिलाफ है.

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘तीन तलाक पर हमने कुछ बुनियादी मुद्दे उठाए हैं. सरकार कई बिंदुओं पर सहमत हुई है.’ उन्होंने कहा, ‘बहुत सारा समय बच सकता है. अगर सरकार हमारे पहले के बिंदुओं पर सहमत हो गई होती.’ सिंघवी का कहना है, ‘अभी भी एक या दो बिंदु बचे हैं और उन बिंदुओं पर चर्चा की जरूरत है. हम इसका (विधेयक का) विरोध करेंगे.’

सिंघवी की टिप्पणी सरकार के जरिए आगामी सत्र में संसद में तीन तलाक के खिलाफ एक विधेयक के पेश किए जाने की घोषणा के बाद आई है. जिसमें तीन तलाक देने वाले को तीन साल की सजा का प्रावधान है.

वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड भी तीन तलाक का समर्थन नहीं करेगी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड ने कहा कि वह तीन तलाक के मुद्दे पर राज्यसभा में बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का समर्थन नहीं करेगी. जेडी (यू) के वरिष्ठ नेता और बिहार के मंत्री श्याम रजक ने कहा, ‘जेडीयू इसके खिलाफ है और हम इसके खिलाफ लगातार खड़े रहेंगे.’

जेडीयू नेता ने कहा कि तीन तलाक एक सामाजिक मुद्दा है और इसे सामाजिक स्तर पर समाज के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. रजक ने कहा कि जेडीयू ने राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक के खिलाफ वोट दिया था. इसके पहले नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर तीन तलाक विधेयक का विरोध किया था. हाल ही में नीतीश ने अपना रुख दोहराते हुए कहा था कि अनुच्छेद 370 को हटाने, समान नागरिक संहिता लागू करने और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराने के मामले को या तो संवाद के जरिए सुलझाए जाएं या अदालत के आदेश के जरिए सुलझाया जाए.

नीतीश ने कहा, ‘यह हमारा विचार है कि अनुच्छेद 370 खत्म नहीं किया जाना चाहिए. इसी तरह समान नागरिक संहिता किसी के ऊपर नहीं थोपी जानी चाहिए और अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा या तो संवाद के जरिए सुलझाया जाए या अदालत के आदेश के जरिए सुलझाया जाए.’

बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है. यह फरवरी में घोषित किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा. सरकार का कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय सुनिश्चित करेगा. यह शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करेगा और ‘तलाक-ए-बिद्दत’ से तलाक को रोकेगा.

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