नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सार्वजनिक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. इस सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद समेत सत्तापक्ष और विपक्ष के बड़े नेता मौजूद रहे.
प्रार्थना सभा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अटल जी का जीवन ही उनकी कहानी बयान करता है. भागवत ने कहा कि मुझे उनका सानिध्य ज्यादा नहीं मिला, लेकिन फिर भी मैं उनके व्यक्तित्व से परिचित ही रहा. किशोर जीवन से लेकर मैंने उनके भाषण और कविताएं सुनीं. भागवत ने कहा कि राजनीति जहां संघर्ष होता ही है, ऐसे कार्य में रहते हुए भी अटलजी की सबके प्रति मित्रता थी, यह बताता है कि स्वयं सेवक जहां कहीं भी जाए उसे कैसे रहना चाहिए, यह अटल जी ने हम सभी को सिखाया है.
चेहरे पर हमेशा रही मुस्कान
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अटल जी के शब्द और उनका जीवन एक जैसा ही था. उन्हें समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले सभी के मन में उनके प्रति सम्मान था. भागवत ने कहा कि कठिन हालात में उनके अंदर का कवि और इंसान जिंदा रहा और उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान ही रही. भागवत ने कहा कि अटल जी की जिंदादिली कभी कम नहीं हुई. उन्होंने जीवन का तनकर सामना किया.
वाजपेयी को याद करते हुए भागवत ने कहा कि उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में रहकर भी स्वयंसेवक के संस्कार, कार्य कुशलता और संवेदनाओं को जीवित रखा. भागवत ने कहा कि जो वृक्ष छाया और फल देता रहता है उसका तो गुणगान होता है लेकिन जब यह वृक्ष आंधी-तूफान, गर्मी से जूझ रहा था, तब उसकी रक्षा करते हुए उसे किसने सींचा होगा. भागवत ने कहा कि अटलजी जिस कार्य में थे उसका ऐसा ही एक सुंदर वृक्ष बना है. जिन लोगों ने उसका लाभ पाया वो उन्हें याद करते हैं लेकिन विपरीत परिस्थितियों में उस वृक्ष को सींचने वाले कुछ लोग यहां भी बैठे हैं और कुछ चले गए. ऐसे ही जड़मूल से सींचकर वृक्ष खड़ा करने वालों में अटल जी का स्थान था.
पीएम मोदी ने किया याद
इससे पहले प्रार्थना सभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 11 मई को परमाणु परीक्षण अटल जी की दृढ़ता की वजह से हुआ. उसके बाद दुनिया ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया. लेकिन ये अटल थे जो 11 मई को परीक्षण के बाद 13 मई को एक बार फिर दुनिया को चुनौती देते हुए भारत की ताकत का अहसास कराया. जीवन कितना लंबा हो यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन जीवन कैसा हो, ये हमारे हाथ में है और अटल जी ने जी करके दिखाया कि जीवन कैसा हो, क्यों हो, किसके लिए हो और कैसे हो. अटल जी नाम से ही अटल नहीं थे उनके व्यवहार में भी अटल भाव नजर आता है.
लंबी बीमारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का बीते 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है. वाजपेयी के निधन पर कई राज्यों में भी राजकीय शोक का ऐलान किया गया था. सोमवार को उनकी याद में आयोजित प्रार्थना सभा में विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेता और आम लोग भी शामिल हुए हैं.