नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सोमवार को शोक सभा का आयोजन किया गया. शोकसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अटल जी ने सबको एकसाथ लेकर चलने का ध्येय बनाया. वह जब तक जीवित रहे उन्होंने हमेशा प्रयास किया कि सबको साथ लेकर चला जाए. उन्होंने कहा कि आज भी उनकी मृत्यु ने अलग-अलग विचारधाराओं के लोगों को एक जगह एकत्र कर दिया. उन्होंने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के नेता यहां मौजूद अटल जी को श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद हैं. बहुत कम लोगो ऐसे होते हैं जो अपनी मौत के बाद भी दूरियों को कम करते है.
छात्र जीवन में सुनता था अटल जी के भाषण
उन्होंने कहा कि जब मैं छात्र था तो अटल जी जम्मू में आते थे. अपनी पार्टी से हटकर अगर हमनें किसी का भाषण सुना है तो वह अटल जी थे जिनका भाषण सुनने के लिए हम आते थे. उनके शब्द अलग थे. बात करने का तरीका अलग था. आजाद ने कहा कि अटल जी चाहे कितनी भी कड़वी बात विपक्ष के लिए करते हों, लेकिन उनकी भाषा के कारण विपक्ष को कभी बुरा नहीं लगता था. उनकी कही हर बात मीठी लगती थी.
उन्होंने कहा कि मुझे पांच साल उनके साथ काम करने का मौका मिला. 1991-96 तक वह विपक्ष के नेता थे और मैं संसदीय कार्य मंत्री. हमारी दिन में कई बार मुलाकात होती. उन्होंने कहा कि आज मैं अपने तरफ से अपनी पार्टी के तरफ अटल जी को श्रद्धांजलि देता हूं. देश और देशवासियों के लिए काम करने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी का नाम हमेशा याद रखा जाएगा.
अटल जी से मेरी दोस्ती 65 साल तक रही- आडवाणी
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा कि अटल को बिना किसी सभा को संबोधित करूंगा. आडवाणी ने कहा कि ‘मैंने जब अपनी आत्मकथा लिखी थी, तो उसमें अटलजी का उल्लेख था, लेकिन जब उस पुस्तक का विमोचन हुआ, लेकिन उसमें अटलजी नहीं आए तो मुझे बहुत दुख हुआ.’ उन्होंने कहा कि अटल की अनुपस्थिति में बोलने पर कष्ट हो रहा है.
आडवाणी ने अटल जी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने कभी ऐसी सभा को संबोधित नहीं किया, जिसमें अटलजी ना हों, लेकिन आज ऐसा हो रहा है कि अटलजी हमारे बीच नहीं है, ऐसे में मुझे बहुत कष्ट हो रहा है. उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरी अटलजी से मित्रता 65 साल तक रही. हम लोग साथ-साथ पुस्तकें पढ़ते थे, सिनेमा साथ-साथ देखते थे. साथ-साथ घूमने जाते थे. उन्होंने कहा कि अटलजी की विशेषताओं में एक विशेषता यह थी कि वह भोजन भी पकते थे. उन्होंने कहा कि हमने अटलजी से हमने बहुत कुछ सीखा है और बहुत कुछ पाया है. इसलिए उनके दूर जाने का बहुत दुख है. अगर हम उनकी बताई बातों को ग्रहण करके जीवन जीएं तो यही उनके लिए बड़ी श्रद्धांजलि होगी.
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
वहीं, आडवाणी से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जीवन कितना लंबा हो, यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन जीवन कैसा हो, यह हमारे हाथ में है. अटल जी ने यह जी कर दिखाया कि जीवन कैसा हो, क्यों हो, किसके लिए हो. अटल जी को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित इस शोकसभा में तमाम दलों और सामाजिक संगठनों के लोग शामिल हुए. जीवन सच्चे अर्थ में वही जी सकता है जो पल को जीना जानता है. किशोर अवस्था से लेकर जब तक जीवन ने साथ दिया, अटल जी ने सामान्य मानव के लिए जीवन जीया.