‘तबरेज को मिले शहीद का दर्जा’: विरोध के नाम पर मेरठ में हज़ारों उपद्रवियों का कहर, लहराए ISIS के झंडे

लखनऊ। मॉब लिंचिंग ग़लत है लेकिन इसके विरोध के नाम पर आतंक फैलाना इससे भी ज्यादा ग़लत है। कल रविवार (जून 30, 2019) को मेरठ में यही हुआ। मुस्लिम समाज के लोगों ने जब मॉब लिंचिंग का विरोध करते हुए हुडदंग शुरू किया, तब स्थानीय पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारी भी लाचार नज़र आए। ‘युवा सेवा समिति’ ने फैज-ए-आम कॉलेज से हापुड़ अड्डे तक पैदल मार्च का प्रोग्राम बनाया था। खबर पर आगे बढ़ने से पहले बता दें कि इस समिति के अध्यक्ष का नाम बदर अली है, जिसे पुलिस पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है। पुलिस द्वारा मना करने के बावजूद दोपहर के बाद से भीड़ जुटनी शुरू हो गई और देखते-देखते शांतिपूर्ण प्रदर्शन के नाम पर अशांति का खेल खेला जाने लगा।

इस मामले में दोनों ही संस्थाओं ने पुलिस के आदेश का मखौल उड़ाया- एक फैज-ए-आम कॉलेज ने और दूसरे बदर अली की युवा सेवा समिति ने। पुलिस ने धारा-144 लगे होने की बात कह प्रदर्शन के लिए मना भी किया लेकिन इन संस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ा। जब फैज-ए-आम से मार्च निकलना शुरू हुआ, तब उस भीड़ द्वारा मज़हबी टिप्पणियाँ की गईं और उन्मादी नारे लगाए गए। बदमाशों ने इंस्पेक्टर तक को नहीं छोड़ा। इंस्पेक्टर को सरेआम गिरेबान पकड़ कर धमकाया गया। इन्स्पेटर के हाथ से डंडा भी छीन लिया गया। इंस्पेक्टर का गला पकड़े जाने के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके बाद राहगीरों तक को नहीं बख्शा गया। इस कारण लम्बा ट्रैफिक जाम लग गया और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

मामले को हाथ से फिसलता देख पुलिस ने शहर के काजी व मौलवियों का सहारा लिया। काजी के कहने पर बदर अली व उसके संगठन ने अपना मार्च ख़त्म किया। पुलिस और उपद्रवियों के बीच काफ़ी देर तक भिड़ंत चली। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने पर यह अफवाह फैलाया गया कि पुलिस बेकसूर लोगों को मार रही है, लेकिन ऐसा नहीं था। बवाल को और भड़काने के लिए ऐसी अफवाहें फैलाई गईं लेकिन जब लोगों को सच्चाई का पता चला तो उन्होंने राहत की साँस ली। इस मामले में कुल 70 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिनमें से कुछ के नाम हैं- बदर अली, आमिर गाजी, दानिश सैफी, वासिद अली, नईम सागर, वकार, अरशद सैफी, मारूफ, हाजी सईद, इमरान, अकरम शाह, इक़बाल अब्बासी, रशीद, जाविद व अन्य।

‘हिंदुस्तान’ के मेरठ संस्करण में छपी ख़बर

उपद्रवियों और पुलिस की कुल तीन जगह बुरी तरह झड़प हुई। उपद्रवियों ने पूरा हापुड़ हवाई अड्डा जाम कर दिया था। कम से कम हज़ारों लोग उस भीड़ में शामिल थे, जिनमें से अधिकतर युवा थे। तबरेज अंसारी के फोटो-बैनर के साथ इन्होंने हंगामा किया। भीड़ द्वारा अंसारी को शहीद का दर्जा देने की भी माँग की गई। मामला इतना बढ़ गया कि एसएसपी को मौक़े पर पहुँच कर स्थिति को नियंत्रित करना पड़ा। कुल पाँच थानों में उपद्रवियों के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने इस मामले में रासुका के तहत कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। पुलिस को बवाल शांत कराने के लिए काजी जैनुस सजिदीन की मदद लेनी पड़ी, जिनके समझाने के बाद भीड़ शांत हुई।

दैनिक जागरण के मेरठ संस्करण में छपी ख़बर

स्थानीय भाजपा नेताओं ने दावा किया कि इस जलूस में आईएसआईएस के झंडे भी लहराए गए। अधिकारियों को कुछ वीडियो फुटेज सौंपी गई है, जिसके आधार पर आरोप लगाया जा रहा है कि यहाँ कुछ आतंकी भी छिपे हो सकते हैं, जो माहौल बिगाड़ने की साज़िश में शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि इस पूरे बवाल की योजना पहले ही तैयार कर ली गई थी और बदर अली ख़ुद भीड़ में शामिल नहीं हुआ बल्कि युवाओं को आगे कर के काम चलाया। सिटी एसपी से धक्कामुक्की की गई। देहात क्षेत्र से भी युवकों को बुलाए जाने की बात सामने आई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *