‘फासीवादी, उनके हाथ खून से सने’ – अरुण जेटली के निधन पर लिबरपंथियों ने ऐसे मनाया जश्न!

नई दिल्ली। भारत के पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर अंतिम साँस ली। किसी के चले जाने से जो एक आकस्मिक शोक का भाव उभरता है, यह संस्कृति शायद कुछ लोगों में नदारद है। ऐसा नहीं होता तो एक तरफ जब राष्ट्रीय स्तर के नेता के निधन पर शोक मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ स्व-घोषित उदारवादियों के लिए आज ‘जश्न’ का दिन है।

ये वो लोग हैं, जिनके पास उल्लास के नाम पर इन दिनों कुछ भी बचा नहीं है। इसलिए, हिंदुत्ववादी नेताओं के निधन के नाम पर ही सही, ये जश्न मनाने के आतुर रहते हैं। आज यह जश्न अरुण जेटली के नाम पर मना रहे हैं, कुछ दिन पहले पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मौत पर भी इसी तरह का व्यवहार कर रहे थे।

द क्विंट और द हिंदू का एक स्तंभकार है। यह ट्विटर पर क्वेंटिन टैरेंटुलिनो (Quentin Tarantulino) के नाम से जाना जाता है। यह लिखता है – जब कोई फासीवादी मरता है, तो अच्छा लगता है। हालाँकि इसने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया, लेकिन स्क्रीनशॉट के जमाने में अपनी करतूतों को छिपाने से बच नहीं पाया।

एक बाबा ग्लोकल है। वो अरुण जेटली को ‘पीस ऑफ शिट’ कहता है। वो लिखता है कि उसे हिंदू वर्चस्ववादी नए-नाजी (तानाशाह) के साथ कोई सहानुभूति नहीं है।

Baba@BabaGlocal

No sympathies for any Hindu supremacist neo-Nazi flag bearers, no matter how great a command they had over the English language

Baba@BabaGlocal

You mourn & sympathize, while I sit & wonder how a piece of shit rose to such great heights, sat at lit fests among “intellectuals” and basically defended every criminal fascist act of the BJP without blinking an eye, in top notch Queen’s English. Got applauded too.

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ग्लोकल ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा, “अरुण जेटली उन कुछ लोगों में से एक थे, जो ‘अंग्रेजी में नाज़ीवाद’ का बचाव कर सकते थे।’

Baba@BabaGlocal

One of the very few people in the BJP who could defend Nazism in impeccable English. https://twitter.com/vasudevan_k/status/1165159434055630848 

Vasu@vasudevan_k

One of Parliament’s best speakers, Arun Jaitley passes away.

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अशोक स्वैन ने अलग लेवल पर जाते हुए ट्वीट किया, थोड़ा गूढ़ लिखते हुए। वैसे वो हमेशा जहर ही लिखते हैं। लेकिन इस इंसान का ट्वीट पढ़िए, भावनाएँ स्पष्ट हो जाएँगी।

Ashok Swain

@ashoswai

Not only crocodiles, those who shed their crocodile tears are also dangerous!

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मिनी नायर ने लिखा, “अरुण जेटली को माफ नहीं किया जा सकता, उनके हाथ खून से सने हैं।”

Mini Nair@minicnair

No excuse. Blood on hands cannot be washed off easily. https://twitter.com/mrana_roxs/status/1165183482542186496 

M Rana@mrana_roxs
Replying to @minicnair

Best criminal lawyer and astute knowledge of Indian panel codes and very good at diverting the questions into whataboutery. He was good brain on a wrong side.

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आर्य सुरेश ने कहा कि ‘अरुण जेटली कितने अच्छे व्यक्ति थे’ जैसे लाखों लेख के बावजूद यह भूला नहीं जा सकता कि उन्होंने एक ‘फासीवादी’ का समर्थन किया था।

Arya Suresh@thecuriouself

Arun jaitley passed away today. So we’ll get to see a lot of posts that describe how good he was. It’s difficult to ignore that however good or kind or talented he was, he still supported a fascist.

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नंदतारा नाम के यूजर ने लिखा, उन्होंने अपनी सारी अच्छाइयों को किनारे रख दिया और मोदी-शाह के ‘क्लोन’ बन गए।

Nandtara ☮️@nandtara

Sharp & witty are a good lawyer’s USP but Dignified is a stretch. He cast aside his better qualities while becoming a Modi-Shah clone. Seems mandatory for the cheerleading mantris. One needs reflect on how stressful is the inner caucus path that they’re succumbing in numbers https://twitter.com/maryashakil/status/1165163060090347520 

Marya Shakil

@maryashakil

The sharpest,the wittiest& the most dignified politician of Indian Politics. Arunji will be remembered for his classic headline making one liners,repertoire of knowledge and Parliamentary speeches.This pic from his last public appearance at Bjp HQ for unveiling the Sankalp Patra.

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स्व-घोषित ‘उदारवादियों’ और लिबरपंथियों का यह रेगुलर पैटर्न बन गया है। ये किसी भी भाजपा नेता की मृत्यु के बाद जश्न मनाते हैं। संवेदना, संस्कृति, जीवन-मरण जैसे शब्द इनकी डिक्शनरी में मानो है ही नहीं। अगर होता तो शायद ये वो नहीं होते, जो आज ये बन चुके हैं!

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