कानपुर। त्योहार का मौसम करीब है. हर व्यक्ति अपने मेहमानों की खातिरदारी करने की तैयारियांं कर रहा है. ऐसी ही मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है कानपुर. लेकिन इस बार कानपुर के लोगों ने मेहमानों को अपने घर आने से मना कर दिया है. दरअसल यहां के यशोदा नगर मोहल्ले के लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर लगा दिए हैं. इसमें लिखा है ‘सड़क न होने एवं जलभराव के कारण रिश्तेदारों से अनुरोध है कि त्योहारों में आने का कष्ट न करें.’
उन्होंने ऐसा इसलिए लिखा है क्योंकि इस मोहल्ले की सड़कें बारिश के बाद बिलकुल खराब हो चुकी हैं. बड़े-बड़े गड्ढों के कारण लोग गिरकर चुटहिल हो रहे हैं.
कानपुर के यशोदा नगर इलाके में हर घर के बाहर चस्पा पोस्टर हर आने जाने वाले व्यक्ति का ध्यान खींच रहा है. इनपर लिखा है ‘सड़क न होने एवं जलभराव के कारण रिश्तेदारों से अनुरोध है कि त्योहारों में आने का कष्ट न करें.’ यहां के लोगों को कहना है कि बरसात बीतने के बाद यहां की सड़कें टूटी पड़ी हैं और जलभराव के कारण लोग फिसलकर गिर रहे हैं.
क्षेत्रीय निवासी आशा तिवारी और डॉ. आरके शुक्ला के पैर में फ्रैक्चर हो चुका है. इसलिए अब लोगों ने घरों के बाहर पोस्टर चस्पा कर रिश्तेदारों को आगाह किया है कि अगर वे अपने हाथ पांव की सलामती चाहते हों तो इस त्योहार वे उनके घर न आएं.
यशोदा नगर कोई आम इलाका नहीं है. यूपी के मौजूदा कैबिनेट मंत्री सतीश महाना यहां से विधायक हैं. उनकी बड़ी कदकाठी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रदेश में 70 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश लाने के कारण उनके काम की सराहना हाल ही में खुद पीएम मोदी कर चुके हैं. यहां के लोगों ने बीजेपी नेता देवेन्द्र सिंह भोले को संसद पहुंचाया है.
इतने बड़े नेताओं की नुमाइंदगी के बावजूद यहां की जनता रो-रोकर नरक भोग रही है. नाली का पानी घरों में घुसने के कारण बच्चे बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. लोगों की दिनचर्या पर असर पड़ा है तो उनमें मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन आ रहा है. क्षेत्रीय निवासियों ने पहले काफी दिनों तक सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया.
नेताओं और अधिकारियों को चिट्ठियां लिखीं और अब थक हारकर रिश्तेदारों से अपील करनी पड़ रही है कि इस त्योहार वे उनके घर न आएं क्योंकि सड़कें टूटी हैं और रास्तों में जलभराव है. इस मामले में ज़ी मीडिया ने जन प्रतिनिधियों से बात करनी चाही तो वे शहर से बाहर थे. नगर निगम में संपर्क किया तो नगर आयुक्त संतोष शर्मा का दो टूक जवाब था कि इस जन-विरोध पर मीडिया को अधिकारिक बयान देकर वे खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मार सकते.