नई दिल्ली। अमेरिका में 5 पाकिस्तानियों को अमेरिकी परमाणु तकनीक को चोरी करते पकड़ा गया है. पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित फ्रंट कंपनी ‘बिजनस वर्ल्ड’ से जुड़े पांच पाकिस्तानियों पर अमेरिका में आरोप लगा है कि उन्होंने पाकिस्तान के न्यूक्लियर और मिसाइल प्रोग्राम के लिए अमेरिकी तकनीक की स्मगलिंग की है.
ये पाकिस्तानी अलग-अलग देशों में रहते हैं और एक्सपोर्ट नेटवर्क का हिस्सा हैं. इनपर आरोप है कि इन्होंने अमेरिकी एक्सपोर्ट लाइसेंस के नियमों का उल्लंघन किया. इन्होंने खरीदार का झूठा नाम बताकर अमेरिकी उत्पादों को पाकिस्तानी कंपनियों के पास भेजा. यानि पाकिस्तान अब अमेरिका की तकनीक चुराने में दिन रात लगा है
अमेरिकी एजेंसी ने इसे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्र के शक्ति संतुलन को खतरा बताया है. आरोपों के मुताबिक, पाकिस्तानियों ने पाकिस्तान में उस जगह की पहचान छिपाने की कोशिश की जहां अमेरिकी उत्पाद भेजे जा रहे थे। अइन्होंने सामना खरीदने वाली और इसका आखिरी इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के झूठे नाम बताए जबकि अमेरिकी उत्पाद वास्तव में पाकिस्तान पुहंचे.
इन आरोपियों में मुम्मद कामरान वली पाकिस्तान में रहता है. मुहम्मद अहसान वली और हाजी वली मुहम्मद शेख कनाडा में, अशरफ खान मुहम्मद हॉन्ग कॉन्ग में जबकि अहमद वहीद ब्रिटेन में रहता है। इन सभी पर इंटरनैशनल एनर्जी इकनॉमिक पावर्स ऐक्ट और एक्सपोर्ट कंट्रोल रिफॉर्म ऐक्ट के उल्लंघन की साजिश रचने का आरोप लगा है.
16 साल पहले ठीक इसी महीने पाकिस्तान का न्यूक्लियर स्मगलिंग और प्रॉलिफरेशन स्कैंडल पकड़ा गया था. उसमें पाकिस्तानी वैज्ञानिक एक्यू खान का हाथ सामने आया था. उसी एक्यू खान ने डच कंपनी रेंको से सेंट्रीफ्यूज चुरा लिया था जिसके दम पर पाकिस्तान ने 1980 में परमाणु बम बना लिया.
पाकिस्तान के वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने दुनिया के अलग-अलग देशों से परमाणु तकनीक चुराई. माना जाता है कि नीदरलैंड में अपनी नौकरी के दौरान कई जानकारी जुटाई फिर अलग-अलग देशों से जरूरी सामान और तकनीकी मदद ली. चीन ने भी पाकिस्तान को काफी मदद की और क्योंकि चीन दक्षिण एशिया में भारत की उतरते ताकत से परेशान था वहीं अमेरिका भी चुपचाप रहा. अब्दुल कादिर खान पर आरोप है कि बाद में परमाणु तकनीक तो चुपचाप चोरी-छिपी उत्तर कोरिया, ईरान, लीबिया को बेच दी. यानी अब्दुल कादिर खान ने ये तकनीक राजनीतिक अस्थिर, अति राष्ट्रवाद और तानाशाही जैसे देशों में ये तकनीक बेची और इसका परिणाम बेहद खतरनाक हुआ..आज पूरी दुनिया परमाणु हमले के डर के साये में जी रहा है.