नई दिल्ली। दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में एक के बाद एक कर के कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। आम आदमी पार्टी के विधायक अमनतुल्लाह ख़ान पर घृणास्पद भाषण देने का आरोप लगा है। आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की इमारत तो दंगाइयों का अड्डा ही बनी हुई थी। मुस्तफाबाद के विधायक हाजी यूनुस पर भी उनके ही क्षेत्र के लोगों ने दंगों में संलिप्त होने के आरोप लगाए हैं। अब कॉन्ग्रेस पार्टी की पूर्व निगम पार्षद इशरत जहाँ का नाम दंगे भड़काने में सामने आया है।
इशरत जहाँ लगातार भड़काऊ भाषण देकर नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के मुसलमानों को भड़का रही थीं। दंगे भड़काने के आरोप में उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है। 14 दिन के लिए उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के खजुरी ख़ास क्षेत्र में इशरत पिछले 2 महीने से लगातार सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही थी। उसके साथ कई समर्थक भी थे, जो लगातार लोगों को भड़काने के काम में लगे हुए थे। पुलिस ने दिल्ली में हुए दंगों में 200 से भी अधिक लोगों को प्रिवेंटिव कस्टडी में लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है।
इशरत जहाँ ने अदालत में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया है। दिल्ली की एक अदालत में जज नवीन गुप्ता ने इशरत जहाँ उर्फ़ पिंकी की जमानत याचिका खारिज कर दी। इशरत को बुधवार (फरवरी 26, 2020) को पुलिस ने गिरफ़्तार किया था। पहले उसे हिरासत में लिया गया था, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई।
इस मामले में कॉन्ग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहाँ सहित खालिद, समीर प्रधान खुरेजी, सलीम, शरीफ, विक्रम ठाकुर, आज़ाद उर्फ भूरा, इशाक, हाजी इकबाल, हाशिम, समीर, बिलाल, यामीन कूलर वाला, साबू अंसारी व अन्य लोगों को आरोपित बनाया गया है। इनमें से कुछ को पुलिस ने अपने शिकंजे में ले लिया है, वहीं कुछ की तलाश अब भी जारी है। इनके ख़िलाफ़ दंगा और हत्या का प्रयास सहित कई मामले दर्ज किए गए हैं।
बता दें कि इशरत जहाँ ख़ुद एक वकील भी हैं। उसने ख़ुद अपनी जमानत अर्जी तैयार की थी, लेकिन वो ख़ारिज हो गई। इशरत जहाँ ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था- “हम मर भी जाएँ लेकिन यहाँ से नहीं हटेंगे। हम आज़ादी लेकर रहेंगे।” इशरत के समर्थक खालिद ने भीड़ से पुलिस पर जम कर पत्थरबाजी करने को कहा था। साबू अंसारी उस भीड़ का नेतृत्व कर रहा था, जिसने पुलिस को खदेड़ते हुए पत्थरबाजी की।