लखनऊ। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि वे आने वाले चुनावों में गठबंधन के लिए किसी भी पार्टी से सीटों की भीख नहीं मांगेंगी. उन्होंने मंगलवार को कहा कि वे दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण समाज के गरीबों के सम्मान से समझौता नहीं करने वाली हैं. साथ ही उन्होंने बता दिया कि बीएसपी चुनावी गठबंधन के लिये ‘सम्मानजनक सीटें’ पाने की हकदार है और वह सीटों के लिए किसी से ‘भीख’ मांगने की बजाय अपने बलबूते पर ही चुनाव लड़ती रहेगी.
कांग्रेस पर भी साधा निशाना
मायावती ने सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर दलित समाज की दयनीय स्थिति के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि अगर ये दोनों पार्टियां बहुजन समाज और सवर्ण समाज के गरीबों की हितैषी होतीं तो पिछले 70 सालों में काफी सुधर गई होती और सत्ता में इन वर्गों की समुचित भागीदारी भी होती.
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस को बराबर का दोषी ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियां बीएसपी, इसके नेतृत्व को कमजोर और बदनाम करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हैं. खासकर चुनाव के समय तो यह कुत्सित प्रयास और भी ज़्यादा सघन और विषैले हो जाते हैं.’ उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को इससे सावधान रहने के लिये आगाह भी किया.
क्या है मायावती के बयान का मतलब?
मायावती के इन बयानों से साफ है कि वह सत्ताधारी बीजेपी से जितनी नाराज हैं उतना ही गुस्सा कांग्रेस को लेकर भी है. कांग्रेस और बीएसपी में गठबंधन की उम्मीद टूटने के बाद आरोप-प्रत्योप का दौर भी शुरू हो चुका है. हालांकि यह स्थिति बीजेपी के सुखद जरूर हो सकती है, क्योंकि मध्य प्रदेश में सत्ताविरोधी लहर से खिसकने वाला वोट सिर्फ कांग्रेस के खाते में न जाकर बीएसपी जैसे दलों के पाले में भी आएगा. इससे बीजेपी के खिलाफ किसी एक दल के मजबूत होने की कोशिश कमजोर होगी.
कांग्रेस की कोशिशों को झटका?
कांग्रेस भले ही केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने का ख्वाब देख रही हो, लेकिन जमीन पर वो सारे सपने बिखरते नजर आ रहे हैं. मध्य प्रदेश में बीएसपी और सपा महागठबंधन कर कांग्रेस के साथ आने से पहले ही इनकार कर चुकीं हैं, अब माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी की पार्टी को मायावती का साथ तो नहीं मिलेगा.
कांग्रेस विपक्षी दलों के मनाने में विफल रही है. नतीजा ये हुआ कि पहले मायावती ने छत्तीसगढ़ में अजित जोगी की पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया और फिर सीटों का पेंच फंसाकर मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस से किनारा कर लिया. मायावती के नक्शे कदम पर चलते हुए अखिलेश के सब्र का बांध भी टूटा और कांग्रेस के फैसले का इंतजार करते-करते सपा भी मध्य प्रदेश में गठबंधन से बाहर हो गई.
बीजेपी को मिल सकता है फायदा
लोकसभा चुनाव को देखते हुए मायावती के संकेत कांग्रेस के लिए और भी बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती हैं. उत्तर प्रदेश में फिलहाल बीएसपी के पास एक भी लोकसभा सीट क्यों न हो लेकिन आने वाले दिनों में सपा और बीएसपी का गठजोड़ कांग्रेस को अलग-थलग कर सकता है. मायावती के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदे में बीजेपी दिख रही है. दरअसल माया के फैसले से महागठबंधन को लेकर जो माहौल बनाया जा रहा था, वो बन नहीं सकेगा. इसका सीधा असर बीजेपी के विरोध में खड़े मतदाताओं पर पड़ेगा. बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले ये अच्छे संकेत हैं कि बीएसपी, कांग्रेस और सपा गठबंधन करने के लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रही हैं.