लखनऊ। कानपुर एनकाउंटर कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे को मध्य प्रदेश की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह उज्जैन से गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में यूपी पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है कि आखिर कड़े पहरे के बावजूद दुबे यूपी पुलिस को छकाते हुए राज्य से बाहर चला कैसे गया।
बता दें कि इसके पहले हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में भी यूपी पुलिस खाली हाथ ही रह गई थी। कमलेश तिवारी के हत्यारे को गुजरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
इन दोनों ही मामलों में यूपी पुलिस कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र में गुरुवार देर रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। जिसके बाद से पुलिस विकास को उत्तर प्रदेश से जुड़े सभी प्रदेशों में ढूंढ रही थी।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। वर्ष 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास दुबे का नाम आया था। कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही वर्ष 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास दुबे पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप है।
दुबे के पकड़े जाने पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि सरकार ये स्पष्ट करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ्तारी। उन्होंने मांग की है कि सरकार विकास के मोबाइल की कॉल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) सार्वजनिक करे जिससे कि उसकी सच्ची मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके।
उज्जैन में पुलिस द्वारा गिरफ्त में लिए जाने पर भी विकास दुबे की अकड़ जारी रही। पुलिस द्वारा कपड़े जाने पर विकास दुबे ने कहा, हां मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला।
इसके पहले यूपी पुलिस ने विकास दुबे को पकड़े जाने पर पांच लाख रुपये का ईनाम घोषित किया था। बुधवार को एडीजी प्रशांत कुमार ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा था कि कानपुर एनकाउंटर में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। विकास दुबे पर ऐसी कार्रवाई होगी जो नजीर बनेगी।