शेखर पंडित
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की सरकार पर संकट के बादल दिखने शुरु हो गये हैं, डिप्टी सीएम सचिन पायलट समर्थकों का दावा है कि उनके साथ 24 विधायक हैं, लेकिन राजस्थान की राजनीति को करीब से जानने वालों का कहना है कि सचिन पायलट के साथ 15-17 विधायक हो सकते हैं, इन सबके बीच सभी राजनीतिक दलों ने संभावनाओं की तलाश करना शुरु कर दिया है, सचिन पायलट समर्थक विधायकों के इस्तीफा देने या बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जैसी तमाम बातों को लेकर मंथन का दौर शुरु हो चुका है, हालांकि कांग्रेस समर्थकों का दावा है कि सचिन पायलट को जल्द ही मना लिया जाएगा, गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है, आइये एक बार राजस्थान विधानसभा का गणित समझते हैं।
राजस्थान के 200 सदस्यीय विधानसभा में अभी कांग्रेस के 101 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के विधायकों की संख्या 72 है।
कांग्रेस के पास 107 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 101 कांग्रेस के तथा 6 बसपा के विधायक हैं, बीजेपी के पास अपने 72 तथा आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन है।
कांग्रेस-बीजेपी के अलावा निर्दलीय या अन्य दलों के विधायकों की कुल संख्या 18 है।
सचिन पायलट के समर्थक विधायकों की संख्या अगर 24 मान ली जाए, तो इनके इस्तीफे के बाद सदन में विधायकों की संख्या 176 रह जाएगी।
176 सदस्यों वाले विधानसभा में बहुमत के लिये 89 विधायकों की जरुरत पड़ेगी।
पायलट समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास 107 में से 83 विधायक बचेंगे, (जिसमें 6 बसपा के हैं), यानी इसके बाद जादूई आंकड़े के लिये गहलोत को 6 और विधायकों की जरुरत होगी।
वहीं बीजेपी के पास 75 विधायकों का बहुमत है, यानी जादूई आंकड़े से पार्टी 14 सीटें पीछे है।
ऐसे में निर्दलीय विधायकों का मत महत्वपूर्ण हो जाएगा।
इन 18 में से कांग्रेस को बहुमत के लिये 6 विधायकों के समर्थन की जरुरत होगी, जबकि बीजेपी को 14 की आवश्यकता होगी।
नाराज हैं सचिन पायलट
मालूम हो कि राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में एसओजी का नोटिस मिलने के बाद डिप्टी सीएम सचिन पायलट सीएम से नाराज बताये जा रहे हैं, पिछले तीन दिन से सचिन दिल्ली में हैं, वो सोनिया गांधी से मुलाकात करने के लिये समय मांग रहे हैं, इसके साथ ही सचिन खेमा विधायक गुरुग्राम के एक होटल में पहुंच चुके हैं, हालांकि गहलोत समर्थकों का दावा है कि सरकार पर कोई खतरा नहीं है।