कानपुर। कानपुर की पुलिस पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। अपहरण मामले में कथित तौर पर पुलिस टीम के सामने से अपहरणकर्ता 30 लाख रुपये की फिरौती की रकम लेकर उड़ गए। इसके बावजूद अभी तक अपहरण करने वाले 29 वर्षीय शख्स को छोड़ा नहीं गया। इस मामले में कानपुर के मुख्य पुलिस अधिकारी ने विस्तृत रूप से जांच के आदेश दे दिए हैं।
अपहरण का मामला सामने आने पर एसएसपी दिनेश कुमार पी खुद पीडि़त परिवार से मुलाकात की। परिवार ने बताया कि थानेदार ने 30 लाख रुपये की फिरौती अपने सामने बदमाशों को दिलवाई है और झूठ बोल रहे हैं। इस पर एसएसपी ने थानेदार व टीम में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दिए हैैं। एसएसपी ने परिवार को भरोसा दिलाया है कि उनका बेटा जल्द खोज लिया जाएगा। फिरौती की जो भी रकम गई है, उसे भी बरामद कर लिया जाएगा। इसके लिए अलग से क्राइम ब्रांच को भी लगाया गया है। जांच में जो भी पुलिसकर्मी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पीएसी में तैनात है आरोपित का पिता
पीडि़त परिवार ने बताया कि आरोपित राहुल का पिता पीएसी में तैनात है और चाचा मैनपुरी जिले में दारोगा है। उन्होंने बताया कि दामोदर नगर निवासी एक रिश्तेदार के कहने पर बेटी का रिश्ता राहुल से तय किया था। बाद में पता लगा कि लड़का ठीक नहीं है। तब रिश्ता तोड़ दिया। इसके बाद पिता-पुत्र ने धमकी देना शुरू कर दिया। मैसेज और फोन करके धमकी देने लगे। स्वजन ने उन्हीं दोनों पर शक जताया है। साथ ही बताया कि अपहर्ताओं ने गांव की जमीन बेचकर रकम का इंतजाम करने के लिए कहा। जमीन के बारे में उन्हीं पिता-पुत्र को जानकारी थी।
लड़का मिल जाए, पैसा बाद में बरामद कर लेंगे
संजीत की बहन रुचि ने बताया कि थाना प्रभारी कहते रहे कि 30 लाख रुपये की व्यवस्था कर लो। लड़का मिल जाए, पैसे तो बाद में बरामद कर लेंगे। उनकी बात पर भरोसा करके मकान व जेवर बेचकर रकम जुटाई थी। एसपी साउथ से कहा कि बैग में चिप लगवा दो तो हड़का दिया और बोलीं, कि क्या आपको भरोसा नहीं है। हमारी टीम लगी है, लेकिन टीम लगी रही और बदमाश पैसे लेकर चले गए।
एसपी साउथ और बर्रा एसओ की लापरवाही पड़ी भारी
अपहरण के इस मामले में एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता और थानेदार रणजीत राय की लापरवाही पीडि़तों को भारी पड़ी। सवाल यह है कि जब इतने दिनों से अपहरणकर्ता लगातार पीडि़त परिवार से बात कर रहे थे तो पुलिस कैसे उन तक नहीं पहुंच पाई। पुलिस का सर्विलांस सेल क्या कर रहा था। सवाल यह भी है कि आखिर पुलिस ने फिरौती की रकम का इंतजाम करने को क्यों कहा? और जरूरी था तो ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं की, जिससे अपहर्ताओं को पकड़ा जा सके। स्वजनों के अनुरोध के बावजूद जीपीएस डिवाइस लगाने की सलाह क्यों नहीं मानी गई?
इससे भी अधिक आपत्तिजनक पीडि़त परिवार के प्रति पुलिस अधिकारियों का व्यवहार रहा। पीडि़त परिवार लगातार आरोप लगा रहा है कि उनके साथ एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता और थाना प्रभारी रणजीत राय ने अच्छा व्यवहार नहीं किया। सांत्वना देने के स्थान पर उन्हें डराया धमकाया गया और मुंह बंद रखने की चेतावनी दी गई। इसी वजह से पंद्रह दिनों से वही कर रहे थे, जो यह दोनों अधिकारी बता रहे थे। जब बेटा और पैसा दोनों चले गए, तब उन्होंने विरोध का रास्ता अख्तियार किया। विशेषकर एसपी साउथ का रवैया बेहद खराब रहा। मामला सार्वजनिक होने के बाद जब मीडिया ने इस संबंध में उनसे बात की तो उन्होंने पीडि़त परिवार के दावे को पूरी तरह से नकार दिया। वह बोली कि बैग में कुछ भी नहीं था, जबकि परिवार चीख-चीखकर आरोप लगा रहा है कि एसपी साउथ और थानेदार के कहने से ही उन्होंने घर जेवर बेचकर तीस लाख रुपये का इंतजाम किया था।