कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर अनिश्चितता की नई गहराई में डूबने के बाद क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया (CABI) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से इस बात की उम्मीद कर रहा है कि वह बात करे और भारतीय नेत्रहीन क्रिकेटरों की मदद करे, क्योंकि कई खिलाड़ियों के पास नौकरी नहीं है।
एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में 2011 में पंजीकृत CABI पूरे भारत में नेत्रहीनों के लिए क्रिकेट का संचालन करने वाला शीर्ष निकाय (एपेक्स बॉडी) है। इसे बीसीसीआइ से मान्यता प्राप्त नहीं है। संस्थापक महंतेश जी किवदसन्नवर (Mahantesh G Kivadasannavar) की अध्यक्षता वाला संगठन प्रायोजकों के जरिए धन जुटाता है। CABI को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता गैर सरकारी संगठन समर्थनम ट्रस्ट जो विकलांगों के लिए समर्थित है, उसका समर्थन भी मिलता है।
महंतेश ने न्यूज एजेंसी आइएएनएस से बात करते हुए कहा है, “कोरोना वायरस की स्थिति के कारण हमें इसे बंद करना पड़ा। यह दौरा 18 मार्च से 4 अप्रैल तक के लिए निर्धारित किया गया था। हमें 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ।” उन्होंने बताया है, “शारीरिक और आर्थिक रूप से वे (नेत्रहीन क्रिकेटर्स) प्रभावित होते हैं। उनमें से कुछ छोटी कंपनियों में काम कर रहे थे और सभी ने अपनी नौकरी खो दी है। भारतीय दस्ते के कुछ सदस्यों ने अपनी नौकरी खो दी है, जिसमें टीम के 5-6 सदस्य शामिल है।”
भारत ने कुल चार ब्लाइंड क्रिकेट विश्व कप जीते हैं – (2012 और 2017 में टी20 विश्व कप) और (2014 और 2018 एकदिवसीय विश्व कप)। इसके अलावा रणजी ट्रॉफी मॉडल के आधार पर भारत भर में एक राष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित होता है, जिसमें 24 राज्य भाग लेते हैं, जिसे नागेश ट्रॉफी कहा जाता है। महंतेश जो कि खुद एक पूर्व ब्लाइंड क्रिकेटर हैं उन्होंने बीसीसीआइ के अध्यक्ष सौरव गांगुली को ब्लाइंड क्रिकेटरों की मदद के लिए अप्रोच किया था। उन्होंने 15 दिन के अंदर मदद देने का फैसला किया था।
महंतेश ने कहा है, “मुझे लगा कि गांगुली ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि 15 दिनों के भीतर वे हमारी बात सुनेंगे। यह 30 नवंबर, 2019 था। मैं बीसीसीआइ के पास गया, उन्होंने फोन किया। उन्होंने केरल के किसी व्यक्ति से इस पर गौर करने के लिए कहा था। मैंने उस दिन गांगुली से बात की थी, और उन्होंने कहा कि ‘मैं यहां हूं चिंता मत करो। वह हमारे पहले टी 20 विश्व कप (2012) के लिए ब्रांड एंबेसडर थे।”