वाशिंगटन। चीन ने हांगकांग में नया कानून लागू किया तो अब अमेरिका ने हांगकांग का विशेष दर्जा खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब हांगकांग के साथ चीन की ही तरह पेश आया जाएगा, उसे कोई विशेष अधिकार नहीं दिए जाएंगे, आर्थिक रूप से उसके साथ कोई खास बर्ताव नहीं किया जाएगा। ये बातें उन्होंने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कह दी है। इसी के साथ अब वो हांगकांग ऑटोनॉमी एक्ट पर भी हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहे हैं, इस एक्ट पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद इस कानून के बाद दुनियाभर के बैंक चीन और अमेरिका में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉनल्ड ट्रंप ने खुद को चीन के प्रति सबसे सख्त अमेरिकी राष्ट्रपति बताया था। चीन पर हमला करके हुए उन्होंने कहा कि बीजिंग ने हाल ही में हांगकांग पर सख्त नया सुरक्षा कानून लगाया है, उनकी आजादी छीन ली गई है, उनके अधिकार छीन लिए गए हैं। इसके बाद मेरी राय में हांगकांग बाजार में प्रतिस्पर्धा करने लायक नहीं बचेगा। इस कानून के लागू हो जाने के बाद अब बहुत से लोग अब हांगकांग छोड़ देंगे।
हांगकांग ऑटोनॉमी एक्ट
“हांगकांग ऑटोनॉमी एक्ट” पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद हांगकांग पुलिस और चीनी अधिकारियों पर और उनके साथ जुड़े बैंकों पर शहर की स्वायत्ता (Autonomy) की अवहेलना के आरोप में प्रतिबंध लग सकेंगे। ट्रंप ने कहा कि इस कानून के तहत मेरी सरकार को ऐसे शक्तिशाली साधन मिलेंगे जिनसे वे ऐसे लोगों और संस्थाओं को जिम्मेदार ठहरा सकेंगे, जो हांगकांग की स्वतंत्रता खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
चीन ने कहा जवाबी कार्रवाई करेंगे
इसके बाद चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करने की बात कही है। चीन ने अमेरिका के हांगकांग ऑटोनॉमी एक्ट को जानबूझ कर चीन को बदनाम करने वाला बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि चीन अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी प्रतिक्रिया देगा और अमेरिकी अधिकारियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाएगा। नए कानून के तहत अमेरिका राष्ट्रपति अगर चाहें भी, तो एक बार लगे प्रतिबंधों को आसानी से हटा नहीं सकेंगे। संसद अगर चाहे तो प्रतिबंध हटाने के उनके फैसले को उलट सकती है।
बढ़ेगा हांगकांग का कष्ट
अमेरिकी सांसदों में इसे लेकर उत्साह है। डेमोक्रैट सांसद क्रिस वान हॉलन का कहना है कि आज अमेरिका ने चीन को साफ कर दिया है कि वह बिना गंभीर नतीजों के हांगकांग में स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर हमला करना जारी नहीं रख सकता। अटलांटिक काउंसिल थिंक टैंक की जूलिया फ्रीडलैंडर का कहना है कि कुल मिला कर इस कानून से चीन को फायदा होगा और हांगकांग का कष्ट और बढ़ जाएगा।
नवंबर में चुनाव, चीन बना मुद्दा
अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। उससे पहले डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन को मुद्दा बना रहे हैं। पहले कोरोना महामारी को लेकर और अब हांगकांग के मुद्दे पर ट्रंप लगातार चीन से उलझते हुए नजर आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चुनावों के मद्देनजर ट्रंप जानबूझ कर अमेरिकी जनता को चीन के मुद्दों में उलझाए रखना चाहते हैं और एक सख्त राष्ट्रपति की छवि बनाना चाहते हैं ताकि उनकी विफलताओं की चर्चा ना हो सके। एक दिन पहले ही अमेरिका ने दक्षिण चीन महासागर में चीन की दावेदारी को गैरकानूनी घोषित किया था. इससे पहले उइगुर मुसलामानों के मुद्दे पर भी अमेरिका ने पिछले हफ्ते ही कई उच्च चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे।
मालूम हो कि चीन में उइगर मुसलमानों पर काफी आत्याचार किया जाता है, इन मुसलमानों को अरबी भाषा में कुरान पढ़ने तक की इजाजत नहीं है। उनकी मस्जिदों पर भी अरबी में कुछ लिखा नहीं जा सकता है। इसके लिए उनकी चीनी भाषा का ही इस्तेमाल करना होता है। जबकि पूरी दुनिया में कुरान को सिर्फ अरबी में ही पढ़ने के लिए कहा जाता है। कुरान अरबी में ही लिखी गई है मगर चीन में कुरान को भी वहां की भाषा में लिखवाया गया है और वहां रहने वाले मुसलमानों को उसी भाषा में कुरान को पढ़ना पड़ता है। मस्जिदों में ऊपर गुंबद आदि भी नहीं दिख सकते हैं। जैसे सरकार निर्देश देती है उसी हिसाब से उनको बनाया जाता है।