वाशिंगटन। बायोटेक कंपनी मॉडर्ना ने कोरोना वायरस के लिए बनाई गई वैक्सीन के सफल ट्रायल का दावा किया है। खबर के मुताबिक 45 लोगों के ऊपर इसका प्रयोग करने के बाद इसको सफल पाया गया है। न्यू इंग्लैंड जरनल ऑफ मेडिसिन में इसकी एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इसमें कहा गया है कि ये वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ ये इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। इस वैक्सीन को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शन डिजीज के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। आपका ेबता दें कि ये पहली ऐसी वैक्सीन है जिसका क्लीनिकल ट्रायल किया गया है। इसका एक अन्य चरण 27 जुलाई से शुरू होगा जिसमें 30 हजार लोग शामिल होंगे। इस ट्रायल में शामिल होने वाले प्रतिभागियों में से आधे एक कंट्रेाल ग्रुप से होंगे प्लेसबोस प्राप्त करेंगे।
उम्मीद की जा रही है कि इसका एक बड़ा ट्रायल अक्टूबर के अंत तक पूरा हो जाएगा। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि एक बार सफल और सुरक्षित होने के बाद भी ये प्रभावशाली होगी। इसके लिए ट्रायल के दौरान ये बात सामने आनी जरूरी है कि जिनको ये टीका लगाया गया था, उन्हें प्लेसबो पाने वालों की तुलना में वायरस को अनुबंधित करने की काफी कम संभावना थी। इसके जल्द परिणाम पाने का एक जरिया ये भी हो सकता है कि इसको हॉट स्पॉट में अधिकतर टेस्ट किया जाए और उन जगहों में हाईरिस्क लोगों पर स्टडी की जाए। खबर में ये भी कहा गया है कि दर्जनों कंपनियां वैक्सीन को बनाने में जुटी हैं, लेकिन इसका मरीजों पर सफल प्रयोग ही केवल एकमात्र उम्मीद है। हालांकि जानकार ये भी मानते हैं कि इस वायरस के खात्मे के लिए एक से अधिक वैक्सीन की जरूरत होगी। जानकारों का तर्क है कि कोई भी एक कंपनी अकेलेही वैक्सीन या दवा की अरबों खुराक तैयार नहीं कर सकती है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की वीरोलॉजिस्ट डॉक्टर एंजेला रासमुसेन का कहना है कि जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं होगा तब तक हम भी सुरक्षित नहीं है। ये केवल हमारे लिए ही जरूरी नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए जरूरी है। मॉडर्ना कंपनी ने वैक्सीन बनाने के लिए वायरस के जेनेटिक मेटिरियल का इस्तेमाल किया गया है। इसको mRNA नाम दिया गया है।