पश्चिम बंगाल में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ बर्दवान में अंग्रेजी के एक प्रोफेसर पर बड़े आरोप लगे हैं। उक्त प्रोफेसर वामपंथी विचारक भी हैं, जो वामपंथी धारणाओं को आगे बढ़ाते हैं। उनके ऑडियो क्लिप के वायरल होने के बाद उनके अश्लील व्यवहारों के बारे में पता चला है। वो छात्राओं का पीछा करते थे। वायरल ऑडियो क्लिप उनकी पत्नी की है, जिसमें वो प्रोफेसर के अश्लील व्यवहारों और यौन शोषण के आरोपों की पुष्टि करती सुनी जा सकती हैं।
आरोप लगे प्रोफेसर का नाम अंगशुमन कर है, जो यूनिवर्सिटी ऑफ बर्दवान में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर हैं। सीपीएम के मुखपत्र ‘गणशक्ति’ में उनके लिखे हुए लेख अक्सर प्रकाशित होते रहते हैं। इनके द्वारा वो समय-समय पर वामपंथी प्रोपगंडा फैलाते रहे हैं। सीपीएम के साहित्यिक पत्र ‘नंदन’ में भी उनके लिखे लेख छपते हैं। ‘ऑर्गेनाइजर’ ने उक्त प्रोफेसर पर लगे आरोपों को लेकर ख़बर प्रकाशित की है।
प्रोफेसर का नाम अब एक सैक्स स्कैन्डल में आया है। उनकी पत्नी के हवाले से दावा किया गया है कि वो पिछले 20 वर्षों से छात्राओं का पीछा कर के उनका यौन शोषण करते आ रहे हैं। इससे उनके ‘सेक्सुअल प्रीडेटर’ होने की बात पता चली है। उनकी पत्नी के वायरल ऑडियो क्लिप में वो उन छात्राओं के नाम गिना रही हैं, जिनसे उन्होंने अश्लील हरकतें कर के यौन फायदे लिए। उन छात्राओं के साथ उन्होंने अपनी यौन इच्छाएँ पूरी की।
बदले में उन्होंने इन छात्राओं को परीक्षा में मार्क्स दिए। साथ ही आरोपित प्रोफेसर ने अकादमिक रूप से उन लड़कियों को कई अन्य फायदे भी पहुँचाए, ऐसा आरोप भी लगा है। उनकी कई पूर्व छात्राएँ फिलहाल विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में स्थायी पदों पर कार्यरत हैं। एक छात्रा का नाम लेते हुए उनकी पत्नी ने ऑडियो क्लिप में कहा कि उससे यौन फायदा लेने के बाद प्रोफेसर ने उसे मार्क्स और अच्छे कॉलेजों और कंपनियों में प्लेसमेंट की भी गारंटी दी।
इस ऑडियो क्लिप में यूनिवर्सिटी ऑफ बर्दवान के प्रोफेसर की पत्नी उन छात्राओं के नाम ले रही हैं, जिन्हें ‘सेक्सुअल फेवर्स’ के बदले विभिन्न तरह के फायदे मिले। वो सभी महिलाएँ फिलहाल कई कॉलेजों में कार्यरत हैं, पत्नी ने उन सबके भी नाम लिए। इस ऑडियो क्लिप के वायरल होने के बाद प्रोफेसर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्दवान से कहा जा रहा है कि वो आरोपित प्रोफेसर पर कार्रवाई करे।
इससे पहले स्मृति कुमार सरकार यूनिवर्सिटी ऑफ बर्दवान के कुलपति थे। उनके कार्यकाल में प्रोफेसर पर परीक्षा के पेपर्स को लीक करने के आरोप भी लगे थे। हालाँकि, वामपंथी दलों के साथ-साथ ममता बनर्जी की तृणमूल कॉन्ग्रेस में भी उनकी पैठ ने उन्हें किसी तरह बचा लिया और वो इस मामले से निकल गए। इसके बाद उन्होंने कुलपति को संघी करार दिया था और उन पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया था।
इससे पहले भी पश्चिम बंगाल में विभिन्न प्रोफेसरों पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं। जाधवपुर यूनिवर्सिटी में दो प्रोफेसरों पर ऐसे ही आरोप लगे थे। ताज़ा मामले में बर्दवान यूनिवर्सिटी ने मामले को आंतरिक कमिटी के पास जाँच के लिए भेज दिया है। कुलपति निर्माण चंद्र साहा ने कहा कि एक महिला की अध्यक्षता वाली कमिटी इसकी जाँच करेगी। कमिटी में 9 सदस्य हैं, जिनमें से एक NGO से हैं और एक क़ानूनविद भी हैं।