काठमांडू। गलवन घाटी में हुई खूनी झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव पर अब नेपाल ने इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर की है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा कि चीन का उदय और भारत के उभरने की चाहत, वे किस तरह से अपने सहयोग को बढ़ाते हैं और मतभेद सुलझाते हैं। एशिया और इस क्षेत्र का भविष्य इसी बात पर निर्भर करेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वुहान समिट के बाद भारत और चीन के बीच सहयोग में गहराई थी। हालांकि गलवन घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। दोनों देश अपने तरफ से तनाव कम करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह काफी चुनौतीपूर्ण है।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में मई के पहले हफ्ते में कई जगहों पर चीनी सैनिकों के एलएसी का अतिक्रमण करने से विवाद शुरू हुआ था। वहीं, 15 जून को दोनों देशों के सैनिको के बीच खूनी झड़प हुई थी। इसके बाद तनाव घटाने की पहल शुरू होने से पूर्व दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं।
वहीं, दूसरी ओर भारत और नेपाल के बीच बीते दिनों रिश्तों में खटास सामने आई थी। नेपाल लगातार भारत के खिलाफ आवाज उठा रहा था, जिसमें चीनी चाल की बात कही जा रही थी। अब नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांकी ने इन आरोपों से अलग किया है। होऊ का कहना है कि भारत-नेपाल के रिश्तों में खटास के लिए चीन को निशाने पर लिया गया है।
गौरतलब है कि चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत और नेपाल के बीच भी सीमा विवाद को लेकर गतिरोध जारी है। नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख व लिम्पियाधुरा को अपने नए विवादित मानचित्र में शामिल किया है, जो कि ये क्षेत्र भारत के उत्तराखंड राज्य में पड़ते हैं।