के विक्रम राव
लाहौर के नौलखा बाजार में श्रीशहीदी गुरुद्वारा स्थान को मस्जिद बनाया जा रहा है| कांग्रेसी मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह तथा अकालीदल विपक्ष के नेता सुखबीर सिंह बादल की अपील पर भाजपायी विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस्लामी पकिस्तान के उच्चायुक्त से नई दिल्ली में गत मंगलवार (28 जुलाई) को इस ज्यादती पर आक्रोश व्यक्त कर दिया है|
अन्य दुखद उदाहरण भी इस इस्लामी जम्हूरिया से मिलते हैं| सिंध में मनोरा सागरतट पर तीन सौ वर्ष पुराने वरुण देवता का मन्दिर था| वह तोड़ दिया गया| कोहट में शिव मन्दिर था वो अब वस्त्र की दूकान है| मगर बलूचिस्तान प्रान्त, जो भारत का मित्र है, ने हाल ही में क्वेटा के पूर्वोत्तर में मंदिर हेतु भूखंड आवंटित कर दिया है | उसने दो सदी पुराना गुरुद्वारा भी हाल ही में सिखों को लौटा दिया है| यहाँ तोड़कर महिला शिक्षा संस्थान बनाया गया था|
यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वयं लाहौर के गुरूद्वारे की सुरक्षा हेतु पाकिस्तानी शासकों से बात करनी होगी| उन्हें याद दिलाना होगा कि लाहौर का अयोध्या से आत्मिक रिश्ता है| साकेत के युवराज लव ने लाहौर बसाया था| सनातन धर्म छोड़कर मतान्तरण करने वालों के कारण हुई ऐतिहासिक विकृतियाँ तथा विवशताएँ भुलायी नहीं जा सकतीं हैं| भूगोल को खंडित नहीं रखा जा सकता है|
अतीत पर नजर डालें तो प्रमाणित हो जाता है कि यह शहीदी स्थल सिख समुदाय का ही है| मुसलमानों का कोई हक़ ही नहीं है| मुग़ल बादशाह शाहाबुद्दीन शाहजहाँ के एक अदना खानसामें ने नौलखा बाजार का इलाका कभी निर्मित कराया था| समीपस्थ इबादतगाह भी बनी| सामने प्रांगण में काफिरों को कलमा पढवाना अथवा सर कलम करने का जालिम सिलसिला सदियों से चलता रहा| ब्रिटिश राज ने April 1849 में पंजाब कब्जिया लिया| तो इसे सिखों को गुरूद्वारे हेतु दे दिया| मुसलमान लोग लाहौर हाई कोर्ट में दावा हारे| पाकिस्तान बनने के बाद फिर दो बार अदालती सुनवाई हुई| मुसलमान दावेदार पुनः हारे| गुरुद्वारा प्रबन्धन समिति का ही आधिपत्य रहा|
मगर मुस्लिम लीगियों ने अब बलपूर्वक हथिया कर मस्जिद निर्माण की शुरुआत कर दी| वर्तमान संकट उसी से जन्मा है| यह सब इस तथ्य का सूचक है कि भारत तभी तक सेक्युलर रहेगा, जब तक हिन्दू बहु संख्या में है| क्योंकि वे सहिष्णु हैं|