साल के 6 महीने भारी बर्फबारी के कारण देश से कटे रहने वाले कश्मीर के तीन गाँवों को आजादी के 73 साल बाद अब बिजली मिल सकी है। पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण साल के कई मौकों पर तनाव के साए में रहने वाले इन गाँवों में अब उम्मीद का बल्ब जलने को तैयार है।
14000 फीट की ऊँचाई पर रहने वाले इस इलाके में अब तक लोग सोलर पावर या जेनसेट्स के जरिए बिजली की व्यवस्था कर पाते थे, लेकिन अब यहाँ इलेक्ट्रिफिकेशन होने के साथ ही पावर सप्लाई का रास्ता सुनिश्चित हो सका है।
बिजली पहुँचने से रौशन हुए ये गाँव उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में स्थित हैं। नियंत्रण रेखा के संवेदनशील हिस्से में आने वाले गाँव केरन, मुंदियाँ और पतरू गाँव में एक 33केवी के पावर स्टेशन से बिजली पहुँचाई गई है।
दो साल में पूरा हुए इस प्रोजेक्ट को कश्मीर पावर डिस्ट्रिब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने पूरा किया है। केरन के जिस गाँव में बिजली पहुँचाई गई है, वह नियंत्रण रेखा से महज 500 मीटर की दूरी पर है। इस प्रोजेक्ट में 979 यूटिलिटी पोल लगाए गए हैं।
केपीडीसीएल के एमडी मोहम्मद एजाज असद ने कहा कि प्रोजेक्ट को लॉकडाउन के कारण तेजी से पूरा किया जा सका है। एजाज असद ने कहा कि ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में तमाम भौगोलिक मुश्किलें भी आईं।
इसके बावजूद तमाम पर्वतीय क्षेत्रों में हाइटेंशन तार और यूटिलिटी पोल्स लगाए गए। एजाज असद ने कहा कि चूँकि ये सारा प्रोजेक्ट डिफेंस लैंड पर पूरा किया जाना था, ऐसे में तमाम विभागीय अप्रूवल लेने के बाद ही प्रोजेक्ट को पूरा किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि इस इलाके में अब तक सोलर पावर या डीजल इंजन के जरिए बिजली पहुँचती थी। अब इस हिस्से में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा करने के बाद काम आसान हो गया है। इस इलाके के किसानों का कहना है कि कश्मीर के हिस्से में 24 घंटे बिजली का सपना अब भी हकीकत से बहुत दूर है। हालाँकि इसकी उम्मीद की जा सकती है कि बिजली पहुँचने से इस इलाके में रोजगार और संभावनाओं के रास्ते खुलेंगे।
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार की ‘सौभाग्य योजना’ के तहत दक्षिण कश्मीर के शोपियाँ जिले के केल्लर (Kellar) क्षेत्र के कई दूरदराज के गाँवों में आजादी के लगभग सत्तर साल बाद बिजली पहुँची थी। इसके लिए क्षेत्र में पाँच ट्रांसफार्मर लगाए गए और महज सात दिनों के भीतर चालू कर दिए गए, जिसके बाद इलाके में बिजली पहुँच गई।
इलाके में पहली बार बिजली पहुँचने पर सहायक कार्यकारी अभियंता, बिजली विकास विभाग (पीडीडी) फारूक अहमद ने कहा था, “केल्लर, शोपियाँ के ये सुदूर इलाके सदियों से ही गैर-विद्युतीकृत गाँव थे और केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित ‘सौभाग्य योजना’ के तहत हमने पाँच ट्रांसफार्मर बनाए थे। बाद में ये सात दिनों के भीतर चालू कर दिए और केलरी शोपियाँ के इन गाँवों में बिजली की आपूर्ति की गई।”