इस्लामी हिंसा को लेकर मीडिया का एक बड़ा वर्ग हमेशा ‘दंगाइयों और आतंकियों का कोई मजहब नहीं होता’ वाला राग अलापता रहता है। लेकिन जैसे ही किसी घटना में एक भी हिन्दू को दोषी करार देने की गुंजाइश हो, तो यही लोग उसका धर्म बता-बताकर पूरे समुदाय को कोसते हैं। बेंगलुरु दंगों के मामले में भी यही हुआ। एनडीटीवी के रवीश कुमार ने भी यही किया।
हालाँकि, रवीश कुमार का ऐसा करना अप्रत्याशित नहीं है। उन्होंने बेंगलुरु दंगों के बारे में क्या कुछ कहा है, उससे पहले हमें ये जानना चाहिए कि पहलू खान और सुबोध सिंह हत्याकांड को लेकर उन्होंने किस तरह हिन्दुओं को निशाना बनाया था। रवीश कुमार के इस वीडियो को ‘मिल्लत टाइम्स’ ने जनवरी 2020 में ‘रवीश कुमार बनाम गोदी मीडिया’ नाम से डाला था। इसमें उन्होंने मोदी सरकार पर जम कर निशाना साधा था।
इस कार्यक्रम में रवीश ने कहा था कि वे एक हिसाब समझा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि एक पहलू खान को मारने के लिए 100 लड़के गए। एक सुबोध सिंह को मारने के लिए 100 लड़के गए। रवीश कुमार ने दावा किया कि दोनों जगह 100-100 लड़के जो हत्या करने गए, वो हिन्दू थे। साथ ही उन्होंने इसे राजनीति करार देते हुए कहा कि ये हिन्दू लड़कों को दंगाई बनाने की साजिश है।
इसके बाद रवीश कुमार ने कहा था, “अब हिन्दू लोग तय कर लें कि वे अपने बच्चों को डॉक्टर बनाना चाहते हैं या फिर दंगाई बनाना चाहते हैं। ये सब आप डिसाइड कर लो, मुझे कोई समस्या नहीं है।” लेकिन, इसी रवीश कुमार के सुर बेंगलुरु दंगों परवे इस्लामी भीड़ का मजहब छिपाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।हिंसा के मामले में बदल जाते हैं और वो मुस्लिम बेहद का मजहब छिपाने के लिए सारी कोशिश करते हैं। बेंगलुरु हिंसा पर रवीश कुमार का क्या कहना है, आइए जानते हैं।
ठीक इसी तरह, बेंगलुरु में 1000 मुसलमानों की भीड़ द्वारा किए गए दंगों के बारे में मीडिया ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन एक मानव श्रृंखला का भी गुणगान किया गया और बताया कि ये मुसलमान हैं जो मंदिर बचाने के लिए खड़े हैं। हालॉंकि इस मानव श्रृंखला की पोल खुलने में भी वक्त नहीं लगी।
ज्ञात हो कि 1000 के क़रीब की मुस्लिम भीड़ ने न सिर्फ कॉन्ग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर पर तोड़फोड़ की थी, बल्कि बाहर खड़ी गाड़ियों को भी जला डाला था। विधायक आवास में तोड़फोड़ का नज़ारा काफी भयावह लग रहा था। दंगाइयों ने मजहबी नारे लगाते हुए पत्थरबाजी और आगजनी की थी।