लखनऊ। पुलिस का दावा है कि मां व भाई को मौत के घाट उतारने वाली नेशनल शूटर लड़की की मानसिक हालत ठीक नहीं है। वह डिप्रेशन की शिकार है। छानबीन के दौरान पुलिस उसके कमरे से लगे हुए बॉथरूम में दाखिल हुई तो अजीब दृश्य देखने को मिला। वॉश बेसिन के ऊपर लगे आईने पर लाल रंग से लिखा था ‘डिसक्वॉलीफाइड ह्यूमन’। इसके अलावा आईने पर गोली का निशान भी था। इस बाबत पूछने पर लड़की ने बताया कि उसने ब्रेड में लगाए जाने वाले जैम से आईने पर यह लिखा और फिर गोली मार दी थी।
डीसीपी ने बताया कि लड़की के दाहिने हाथ पर पट्टी बंधी हुई थी। वह बार-बार अपने इस हाथ को सहला रही थी। पुलिस ने जब इस बारे में पूछा तो वह आनाकानी करने लगी। उसके नाना की मदद लेकर पट्टी खुलवाई गई तो सभी दंग रह गए। उसके हाथ पर 50 से ज्यादा गहरे घाव के निशान थे।
काफी पूछताछ करने पर लड़की ने कबूला कि उसने खुद ही ब्लेड से अपने हाथ पर यह घाव किए थे। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर माचिस की डिब्बी में छुपाकर रखा गया ब्लेड बरामद कर लिया। डीसीपी ने बताया कि लड़की के दूसरे हाथ पर भी ब्लेड से काटे जाने के पुराने निशान हैं। उसे हिरासत में ले लिया गया है। मनोचिकित्सक को बुलाकर उसकी जांच करवाई जा रही है।
पदक जीतने वाली पिस्टल से मां-भाई को गोली मारी
रेलवे के अधिकारी आरडी बाजपेयी ने बेटी को यह सोचकर .22 की पिस्टल खरीदकर दी थी कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक जीतेगी। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस पिस्टल से वह शूटिंग रेंज में पदक के लिए ‘टारगेट’ पर निशाना लगाती है उससे वह अपनी मां और भाई पर कई गोलियां दाग देगी।
अपनी मां और भाई की गोली मारकर हत्या करने की आरोपी राष्ट्रीय स्तर की प्रतिभाशाली निशानेबाज है। उसका प्रिय इवेंट .22 की 25 मीटर स्पर्धा थी। पहले तो वह किसी से पिस्टल मांगकर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी। जब वह राज्य स्तर पर चैंपियन बनीं और जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीते तो उन्हें खुद का हथियार खरीदने का लाइसेंस मिल गया था। इसी लाइसेंस पर उसके पिता ने उसे पिस्टल खरीदकर दी थी।
दस वर्ष की उम्र में शुरू की निशानेबाजी
यह निशानेबाज दिल्ली में ट्रेनिंग करती थी। जब वह दस वर्ष की थी तभी से उसने निशानेबाजी शुरू कर दी थी। दो-तीन माह बाद ही वह राज्य स्तर की बेहतरीन निशानेबाज बन गई थी। इसके बाद उसने महाराष्ट्र और कोलकाता में हुई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीते। इन्हीं पदकों से उसे .22 पिस्टल का लाइलेंस हासिल करने में मदद मिली थी।