प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में शिक्षकों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट काल में एक बड़ी चुनौती पढ़ाई की थी कि यह जारी कैसे रहेगी। लेकिन हमारे देश के शिक्षकों ने इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए न सिर्फ पढ़ाई में तकनीक का उपयोग करना सीखा बल्कि अपने छात्रों को भी इसकी शिक्षा दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मन की बात कार्यक्रम में आज कहा, ‘कुछ दिनों बाद पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाएगा। हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है। तेज़ी से बदलते हुए समय और कोरोना के संकट काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की चुनौती आई। मुझे ख़ुशी है कि हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि उसे अवसर में बदल भी दिया है। पढ़ाई में तकनीक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कैसे हो, नए तरीकों को कैसे अपनाएं, छात्रों की मदद कैसे करें यह हमारे शिक्षकों ने सहजता से अपनाया है और अपने छात्रों को भी सिखाया है। आज देश में हर जगह कुछ न कुछ उन्नयन (इनोवेशन) हो रहे हैं। शिक्षक और छात्र मिलकर कुछ नया कर रहे हैं। मुझे भरोसा है जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।’
उन्होंने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘वर्ष 2022 में हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा। स्वतंत्रता के पहले कई वर्षों तक हमारे देश में आज़ादी की जंग का एक लम्बा इतिहास रहा है। इस दौरान देश का कोई कोना ऐसा नहीं था जहां आजादी के मतवालों ने अपने प्राण न्योछावर न किए हों, अपना सर्वस्व त्याग न दिया हो। यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आज़ादी की जंग में हमारे देश के नायकों से परिचित रहें।’
मोदी ने कहा कि जब छात्र यह जानेंगे कि उनके जिले में, उनके क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ? कैसे हुआ? कौन-कौन शहीद हुआ? कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा तो उनके व्यक्तित्व पर भी इसका प्रभाव दिखेगा। इसके लिए बहुत से काम किए जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है। शिक्षक छात्रों से यह शोध करा सकते हैं कि वह जिस जिले में हैं, वहां शताब्दियों तक जो आजादी का जंग चला, उस दौरान वहां कोई घटनाएं घटी हैं क्या ? उसे स्कूल के हस्तलिखित अंक के रूप में तैयार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘शिक्षक अपने क्षेत्र में स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़े स्थान पर छात्र- छात्राओं को ले जा सकते हैं। किसी स्कूल के विद्याथीर् ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75 वर्ष में अपने क्षेत्र के आज़ादी के 75 नायकों पर कविताएं लिखेंगे, नाट्य कथाएँ लिखेंगे। शिक्षकों के प्रयास से आजादी से उन दिवानों के बारे में जाना जा सकता है, जिन्हें लोग भूल गए हैं। वे स्वतंत्रता सेनानी जो देश के लिए जिए, जो देश के लिए खप गए लेकिन उनके नाम समय के साथ विस्मृत हो गए, ऐसे महान व्यक्तित्वों को अगर हम सामने लाएंगे और आजादी के 75 वर्ष में उन्हें याद करेंगे तो यह उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी और जब पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस मना रहे हैं तब मैं मेरे शिक्षक साथियों से जरूर आग्रह करूंगा कि वे इसके लिए एक माहौल बनाएं, सब को जोड़ें और सब मिल करके जुट जाएं।’