लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 21 सितंबर से शैक्षणिक संस्थाएं नहीं खुलेंगी। संस्थाओं को खोलने पर फैसला मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में लिया जाएगा। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि अभिभावकों की चिंता को ध्यान में रखते हुए हम स्कूल खोलने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करेंगे। कोरोना संक्रमण की स्थितियों को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा। तीन-चार दिनों में हम मुख्यमंत्री के साथ बैठक करके इस पर फैसला लेंगे। केंद्र सरकार ने 21 सितंबर से शैक्षणिक संस्थाओं को परामर्श के लिए खोलने का सुझाव दिया है।
बता दें कि अभी प्रदेश में ऑनलाइन व वर्चुअल कक्षाएं चल रही हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग कक्षा 10 व 12 के लिए दूरदर्शन यूपी और कक्षा 9 व 11 के लिए स्वयंप्रभा चैनल के माध्यम से कक्षाएं चला रहा है और हफ्ते कक्षाओं का टाइमटेबल तय किया जाता है। वहीं कक्षा 8 तक के लिए व्हाट्सएप ग्रुप व अन्य माध्यमों से कक्षाएं चलाई जा रही हैं। चूंकि अब यूपी में भी एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम चल रहा है तो इससे संबंधित शैक्षणिक सामग्री कई रूपों में है और उसे शिक्षकों से लेकर विद्यार्थियों तक को बढ़ाया जा रहा है।
उत्तराखंड में नहीं खुलेंगे स्कूल
कोरेाना संक्रमण को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने 21 सितंबर से स्कूल न खोलने का निर्णय किया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक को इस बाबत कार्यवाही के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, उस स्थिति में स्कूलों को खोलना उचित नहीं होगा। फिलहाल 30 सितंबर तक स्कूल पूरी तरह से बंद रहेंगे। इसके बाद केंद्र के नए दिशानिर्देश और राज्य के हालात के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
जानें, मंत्रालय की ओर से जारी एसओपी में क्या है नियम :
- स्कूल, कालेजों, कौशल संस्थानों को सेनेटाइज करना जरूरी होगा, इसके बिना स्कूल नहीं खोले जा सकते हैं।
- जिस भी स्कूल या कॉलेज या संस्थान को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था उन्हें विशेष सावधानी बरतनी होगी। उन्हें पूरी तरह से सेनेटाइज करके यह सुनिश्चित करना होगा कि संस्थान संक्रमण रहित हो गया है।
- क्लास में कुर्सियां छह फीट की दूरी पर लगाई जाएंगी।
- स्कूल या कॉलेज में आने वाले सभी के लिए मास्क पहनना जरूरी होगा।
- गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग एवं हैंड सेनेटाइ करने के इंतजाम भी करने होंगे।
- स्कूलों में 21 सितंबर के बाद सिर्फ 9-12 के छात्रों को शिक्षक से सलाह लेने के लिए स्वेच्छा से जाने की अनुमति है। लेकिन इसके लिए अभिभावकों की लिखित अनुमति होनी चाहिए। जबकि 50 फीसदी शिक्षकों एवं अन्य स्टाफ को स्कूलों में जाने की अनुमति दी गई है। बीमारी कार्मिकों एवं गर्भवती महिला कार्मिकों को जाने की मनाही है।
- स्कूलों में शिक्षक वहीं से आनलाइन कक्षाएं शुरू कर सकेंगे। इस दौरान यदि कुछ छात्र चाहें तो वहां बैठकर भी पढ़ सकते हैं। स्वेच्छा से पढ़ने के इच्छुक छात्रों को शिक्षक अलग-अलग टाइम स्लाट दे सकते हैं।
- छात्रों, शिक्षकों के बीच नोटबुक, पेन, पेंसिल आदि की शेयरिंग नहीं की जाएगी।
- स्कूलों में प्रार्थनाएं, खेलकूद आदि कार्यक्रम नहीं होंगे। स्कूलों कालेजों में स्वीमिंग पूल आदि भीबंद रहेंगे। सभी शिक्षण संस्थानों को हेल्पलाइन नंबर वह स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के नंबर भी प्रदर्शित करने होगें।
- एसी को लेकर भी पूर्व के नियम रहेंगे जो 24-30 डिग्री के बीच रहेगा। कमरों में वेंटीलेशन होना चाहिए।
- आरोग्य सेतु एप की बाबत कहा गया है कि जहां तक संभव हो सके, यह फोन में होना चाहिए। थूकने पर सख्त पाबंदी होगी।
- कंटेनमेंट जोन के बाहर स्थित स्कूल और शिक्षण संस्थानों को ही खुलने की अनुमति होगी। इस प्रकार जो कार्मिक या छात्र कंटेनमेंट जोन के भीतर रह रहे होंगे, उन्हें स्कूल या कालेज आने की अनुमति नहीं है।
- सभी संस्थानों में एक आइसोलेशन रूम भी बनाना होगा जहां जरूरत पड़ने पर संभावित मरीज को रखा जा सके।
- स्कूल कोलेजों को मास्क, सेनेटाइजर आदि का भी पर्याप्त इंतजाम करना होगा।