कोरोना ने मार्च से भारत में पांव पसारना शुरू किया. स्थिति को काबू में करने के लिए मार्च के आखिरी हफ्ते में लॉकडाउन लागू किया था. जिससे देशभर में सभी तरह की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं. कई उद्योग तो अभी तक पूरी तरह से बंद हैं. लेकिन इस बीच सरकार के लिए एक साथ कई अच्छी खबरें आई हैं.
दरअसल, कोरोना संकट की वजह से सबसे ज्यादा भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. लेकिन अक्टूबर महीने के पहले दिन ही एक के बाद एक इकोनॉमी से जुड़ीं राहत देने वाली चार खबरें आई हैं.
बिजली खपत में बढ़ोतरी
बिजली की खपत में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलते हैं, और सितंबर महीने में बिजली की खपत में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. देश की कुल बिजली खपत सितंबर में 5.6 फीसदी बढ़कर 113.54 अरब यूनिट्स रही. इसके पहले लगातार 6 महीने तक बिजली की कुल खपत में गिरावट दर्ज की गई थी.
बिजली की खपत में बढ़ोतरी होने का मतलब यह है कि कोरोना महामारी के बीच अब औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी लौट आई हैं. बिजली मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक पिछले साल सितंबर में 107.51 अरब यूनिट बिजली की खपत हुई थी. बिजली खपत में अप्रैल में 23.2 फीसदी, मई में 14.9 फीसदी, जून में 10.9 फीसदी, जुलाई में 3.7 फीसदी और अगस्त में 1.7 फीसदी गिरी थी.
जीएसटी कलेक्शन में तेज उछाल
सरकार का खजाना धीरे-धीरे फिर से भरने लगा है. सितंबर में जीएसटी कलेक्शन में शानदार इजाफा हुआ है. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर में माल और सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन 95480 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल सितंबर के मुकाबले 4 फीसदी अधिक है. सितंबर-2019 में कुल जीएसटी कलेक्शन 91,916 करोड़ रुपये रहा था.
इसके अलावा पिछले महीने यानी अगस्त के मुकाबले भी जीएसटी कलेक्शन बढ़ा है. अगस्त में जीएसटी कलेक्शन 86,449 करोड़ रुपये रहा था. जुलाई में यह कलेक्शन 87,422 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था. सितंबर 2020 में नियमित निपटान के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्व, सीजीएसटी के लिए 39,001 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 40,128 करोड़ रुपये है.
सितंबर का मैन्युफैक्चरिंग PMI करीब 9 साल के उच्च स्तर पर
इसके अलावा कोरोना संकट के बीच सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग के मोर्चे से भी अच्छी खबर आई है. PMI के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां साढ़े आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. देश में मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण क्षेत्र) की गतिविधियों में सितंबर में लगातार दूसरे महीने सुधार हुआ है.
आईएचएस मार्किट इंडिया का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) सितंबर में बढ़कर 56.8 पर पहुंच गया. अगस्त में यह 52 पर था. पीएमआई 50 से ऊपर होने का मतलब यह है कि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ रही हैं और 50 से कम होने का मतलब यह है कि इसमें गिरावट है. जनवरी, 2012 के बाद यह पीएमआई का सबसे ऊंचा स्तर है.
बेरोजगारी दर में भी सुधार
रोजगार के मोर्चे पर भी सितंबर में थोड़ी स्थिति सुधरी है, जिससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा. सितंबर के आखिरी हफ्ते तक राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर घटकर 6.7 फीसदी पर आ गई है. अगस्त महीने में 8.3 फीसदी दर्ज की गई थी, जबकि जुलाई में बेरोजगारी दर 7.4 फीसदी थी. इस लिहाज से सितंबर महीने के अंत में बेरोजगारी दर के 6.7 फीसदी पर आने को अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक 29 सितंबर देश के शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 8.5 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 5.8 फीसदी दर्ज की गई. शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी यह संकटपूर्ण स्थिति में है.