नई दिल्ली। मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को अच्छी सफलता मिलती दिख रही है. इस वित्त वर्ष 2020-21 के पहले पांच महीनों में चीन से होने वाला व्यापार घाटा करीब आधा हो गया है.
अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच व्यापार घाटा पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले आधा हो गया है. इसकी मुख्य वजह है चीन को होने वाले भारतीय निर्यात में बढ़त और केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत उठाये जाने वाले कदमों की वजह से आयात में कमी. देश में चीन विरोधी माहौल की वजह से सरकार ने चीन से आने वाले आयात पर कई तरह के अंकुश भी लगाये हैं. वहां के कई तरह के माल की भारत में डंपिंग को रोकने लिए एंटी डंपिंग शुल्क लगाये गये हैं.
इतना हुआ व्यापार घाटा
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के अनुसार, अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच भारत और चीन के बीच होने वाला व्यापार घाटा सिर्फ 12.6 अरब डॉलर (करीब 93 हजार करोड़ रुपये) का रह गया. वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि में यह घाटा 22.6 अरब डॉलर का था. इसके भी पहले यानी वित्त वर्ष 2018-19 में भारत का चीन से व्यापार घाटा 23.5 अरब डॉलर का था.
ये हैं दो मुख्य वजह
इस तरह व्यापार घाटे में कमी की मुख्य वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और चीन से सीमा पर बढ़े तनाव को माना जा रहा है. भारत ने चीन से अपनी व्यापारिक निर्भरता लगातार कम करने का प्रयास किया है.
दूसरी तरफ, भारत ने चीन को अपना निर्यात बढ़ाने की लगातार कोशिश की है. अगस्त में लगातार चौथे महीने चीन को होने वाले निर्यात में दो अंकों की ग्रोथ हुई है. यह बढ़त मुख्यत: चीन को लोहा एवं स्टील के निर्यात में होने वाली बढ़त की वजह से है. इस दौरान चीन को लोहा-स्टील के निर्यात में करीब 8 गुना की बढ़त देखी गई है.
कुल निर्यात में जबरदस्त बढ़त
अप्रैल से अगस्त के बीच भारत के चीन को होने वाले निर्यात में 27 फीसदी की जबरदस्त बढ़त देखी गई है. पिछले साल इसी अवधि में चीन को निर्यात महज 9.5 फीसदी बढ़ा था. दूसरी तरफ इस दौरान निर्यात में 27 फीसदी की गिरावट आई है. जून महीने में तो चीन को होने वाले निर्यात में 78 फीसदी की बढ़त हुई है. इसी तरह निर्यात मई में 48 फीसदी और जुलाई में 23 फीसदी बढ़ा है.