नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में आपराधिक मामलों का सामना कर रहे भाजपा नेताओं को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के उकसावे पर बंगाल पुलिस द्वारा भाजपा नेताओं को निशाना बनाए जाने (विच-हंटिंग) के खिलाफ कुछ भाजपा नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
बीते दिनों ममता सरकार द्वारा भाजपा नेताओं पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे जिनके खिलाफ अब भाजपा नेता सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए हैं। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज यानि, 18 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह, सौरव सिंह, पवन कुमार सिंह, कबीर शंकर बोस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इन सभी भाजपा नेताओं ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों को किसी अन्य ‘स्वतंत्र जाँच एजेंसी’ को हस्तांतरित करने की माँग की है।
याचिका में भाजपा नेताओं ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया है कि राजनीतिक विद्वेष के चलते ममता बनर्जी सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इन मुकदमों को रद्द करे या फिर बंगाल से बाहर हस्तांतरित कर दिए जाएँ।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा नेताओं को इस याचिका के सम्बन्ध में अंतरिम संरक्षण दिया है। इसके साथ ही, उनके खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए आपराधिक मामलों में राज्य पुलिस को कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने भाजपा नेताओं द्वारा दायर पाँच अलग-अलग दलीलों पर पश्चिम बंगाल सरकार से प्रतिक्रिया माँगी और उन्हें राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखते हुए आपराधिक मामलों को रोकने के लिए कहा और कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक सामूहिक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा।
एडवोकेट अवंतिका मनोहर के जरिए अदालत का रुख करने वाले मुख्य याचिकाकर्ता अर्जुन सिंह ने कहा है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देने के ठीक बाद उन्हें बंगाल पुलिस ने उन पर 64 मामले, बिना किसी प्रारंभिक जाँच के दर्ज किए।
भाजपा सांसद अर्जुन सिंह के घर पर फेंके गए बम, जिसमें उनका बेटा भी घायल हो गया था, में TMC सदस्यों का हाथ होने का हवाला देते हुए , बंगाल के भाजपा नेता ने दावा किया है कि स्थानीय पुलिस ने उनकी शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज करने से भी इनकार कर दिया और उन्हें मदद के लिए मुख्य ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास जाने के लिए मजबूर किया गया।
अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस सत्ताधारी राजनीतिक दल के इशारे पर काम कर रही है और उनके ‘व्यक्तिगत और राजनीतिक हितों’ की ही सेवा कर रही है।
एक अन्य भाजपा नेता कबीर शंकर बोस ने शिकायत में कहा है कि उन्हें जानबूझकर कोविड आइसोलेशन वार्ड में अन्य कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ रखा गया था। बोस ने खुद को पश्चिम बंगाल राज्य सरकार द्वारा अत्यधिक यातना, दमन और राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बताया है।
ज्ञात हो कि भाजपा नेता बोस ने टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी की बेटी से शादी की थी, जिनके बीच बाद में तलाक हो गया था। बोस ने कहा कि तलाक के लिए पत्र दायर किए जाने के बाद, उनके खिलाफ ममता बनर्जी के इशारे पर पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाकर कई मामले दर्ज किए गए।
पीठ ने इन भाजपा नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते हुए, गृह मंत्रालय को टीएमसी कार्यकर्ताओं और पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कबीर शंकर बोस के सुरक्षा कर्मचारियों के बीच कथित हाथापाई के बारे में एक रिपोर्ट एक सीलबंद कवर में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।