लखनऊ। उत्तर प्रदेश से कॉन्ग्रेस के लिए एक बुरी ख़बर सामने आई है। एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। उल्लेखनीय है कि उन्होंने पार्टी महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गाँधी वाड्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उनका कहना है कि गाँधी परिवार अपनी छवि बचाए रखने के लिए दिग्गज नेताओं का अपमान कर रहा है। इतना ही नहीं, उन्हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर भी किया जा रहा है। विनोद मिश्रा के मुताबिक़ कॉन्ग्रेस की पूरी प्रदेश इकाई को वामपंथी नेताओं के हवाले कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता और ब्राह्मण महासभा के संयोजक विनोद मिश्रा ने शुक्रवार (25 दिसंबर 2020) को त्याग पत्र दिया। वह इसके पहले उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस के महासचिव भी रह चुके हैं और राज बब्बर के कार्यकाल में लखनऊ प्रभारी भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने इस्तीफ़े के लिए पूरी तरह प्रियंका गाँधी वाड्रा को ज़िम्मेदार ठहराया है।
विनोद मिश्रा ने यहाँ तक आरोप लगाया कि गाँधी परिवार सीबीआई (केंद्रीय जाँच ब्यूरो) और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से बचने का प्रयास कर रहा है और इसके लिए वह संगठन का इस्तेमाल कर रहा है। यह कॉन्ग्रेस के नेताओं के अपमानित होने की वजह है और नतीजतन उन्हें मजबूर होकर पार्टी का साथ छोड़ना पड़ रहा है।
इसके अलावा विनोद मिश्रा ने दिए गए बयान में कहा, “प्रदेश की कॉन्ग्रेस इकाई को पहले ही वामपंथी नेताओं के हवाले किया जा चुका है। राज्य के भीतर पार्टी की बागडोर उनके हाथों में ही है, जिस पार्टी का इतिहास 100 साल से भी पुराना है, जिसने देश की आज़ादी में इतनी अहम भूमिका निभाई, उसके लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
उनका स्पष्ट रूप से कहना है कि पूरी पार्टी सिर्फ ‘वाड्रा’ के बचाव में लगी हुई है और नीतियों से पूरी तरह भटक गई है। पूर्व कॉन्ग्रेस नेता ने अपना त्याग पत्र कॉन्ग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू को दे दिया है। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा है कि फ़िलहाल वह किसी अन्य दल का दामन नहीं थामने वाले हैं। अब से उनका पूरा प्रयास ब्राह्मण महासभा को मज़बूत करने पर होगा।
हाल ही में कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट चल रहे ग्रुप-23 के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक और वार्ता की थी। इस बैठक के बाद असम से कॉन्ग्रेस पार्टी की विधायक अजनंता नियोग को संगठन विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी से निकाल दिया गया था।
असम कॉन्ग्रेस को विधायक पर संदेह था कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के वक्त भाजपा का हिस्सा बन सकती हैं। असम में भी आगामी 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में अगर अजनंता नियोग भाजपा में शामिल होती हैं तो यह बेशक कॉन्ग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित होगा।