लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर बने कानून के खिलाफ 104 रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखते हुए इसे नफरत की राजनीति का केंद्र बताया था। जिस पर योगी सरकार के मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि उन अधिकारियों को सेवा के दौरान गलत तरीके से हासिल की गई संपत्ति को खोने का डर सता रहा है। इसीलिए वे इस बात से परेशान हैं और पत्र लिख रहे हैं।
यूपी के मंत्री आरपी सिंह ने बुधवार (30 दिसंबर, 2020) को समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि, “पत्र लिखने वालों में से कुछ अधिकारियों ने सेवा के दौरान गलत तरीके से संपत्ति बनाई। अब उन्हें इसे खोने का डर सता रहा है। यदि योगी जी मुख्यमंत्री बने रहे तो उनकी संपत्तियों की जाँच की जाएगी। इसी बात से वे लोग चिंतित हैं।”
During service, some of them wrongfully accumulated properties which they fear to lose now. If Yogi ji continues to be CM, their properties will be investigated. This is making them anxious: UP Minister RP Singh on letter by ex-IAS officers stating that govt is spreading hate pic.twitter.com/G3GP8KaUKH
— ANI UP (@ANINewsUP) December 30, 2020
104 पूर्व नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है, “उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून 2020′ ने राज्य को नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है।” पूर्व अधिकारियों ने कानून के उपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए CM योगी को फिर से संविधान पढ़ने की सलाह भी दे डाली।
पत्र लिखने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर, के सुजाता राय और एएस दौलत जैसे अफसर शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि जिस यूपी को कभी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता था, वो अब घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन गया है और शासन की संस्थाएँ अब सांप्रदायिक जहर में डूबी हुई हैं। ये काफी दर्दनाक है।
पूर्व नौकरशाहों ने लिखा, “यह युवा भारतीयों के खिलाफ किए गए ‘जघन्य अत्याचारों’ की शृँखला में से एक है, जो ‘स्वतंत्र देश के नागरिकों के रूप में अपना जीवन बसर करना चाहते हैं।” इसके अलावा चिट्ठी में लिखा गया, “ये अत्याचार, कानून के शासन के लिए समर्पित सभी भारतीयों के आक्रोश की परवाह किए बिना जारी हैं।” उन्होंने सीएम योगी से कहा कि आपके राज्य में इस कानून का इस्तेमाल लाठी के तौर पर किया जा रहा है। खासकर, ऐसे मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं को परेशान करने के लिए किया गया है जो अपनी च्वाइस की आजादी से जीना चाहते हैं।”