B’day special- अमित शाह: जिनके सियासी तिलिस्‍म की विपक्ष के पास काट नहीं

नई दिल्‍ली। पिछले दिनों एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी अध्‍यक्ष्‍ा अमित शाह के लिए कहा कि किसी पार्टी का अध्‍यक्ष कैसा हो, इस बारे में अमित शाह से सीख लेनी चाहिए. संभवतया उन्‍होंने ये बात इसलिए कही क्‍योंकि पार्टी अध्‍यक्ष की हैसियत से अमित शाह के दौर में माना जा रहा है कि बीजेपी अपने स्‍वर्णिम दौर में प्रवेश कर चुकी है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि पार्टी की केंद्र के अलावा अपने दम या सहयोगियों के बूते 21 राज्‍यों में सरकारें हैं.

इसकी तुलना यदि कांग्रेस के स्‍वर्णिम दौर से यदि की जाए तो एक दौर में कांग्रेस की अधिकतम 18 राज्‍यों में सरकारें थीं. बीजेपी ने उस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए उससे अधिक राज्‍यों में भगवा लहरा दिया है. एनडीए शासित 21 राज्‍यों में से छह ऐसे प्रदेश हैं जहां पहली बार बीजेपी सत्‍ता में आई है. इस वक्‍त लोकसभा और राज्‍यसभा में पार्टी के सबसे ज्‍यादा सदस्‍य हैं.

निश्चित रूप से दक्षिणपंथ की राजनीति को सियासी केंद्रीय विमर्श में स्‍थापित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद इस दौर में सबसे अधिक श्रेय अमित शाह को ही दिया जाता है. बीजेपी को भारतीय राजनीति की सर्वप्रमुख सियासी शक्ति बनाने में अहम योगदान देने वाले पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह का 22 अक्‍टूबर को जन्‍मदिन है.

एक के बाद एक सटीक रणनीति के तहत चुनाव दर चुनाव जीतकर इलेक्‍शन मशीन कहलाने वाले अमित शाह की सियासी यात्रा के साथ उनके पार्टी की कमान संभालने के बाद पिछले चार वर्षों में बीजेपी के विस्‍तार की कहानी पर आइए डालते हैं एक नजर:

14 साल की उम्र में आरएसएस से नाता
22 अक्‍टूबर, 1964 को जन्‍मे अमितभाई अनिल चंद्र शाह महज 14 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ गए. उसके बाद उन्‍होंने लंबी सफल सियासी यात्रा की है और इसी अगस्‍त में पार्टी अध्‍यक्ष के रूप में चार साल पूरे किए हैं. 2014 के आम चुनावों में बीजेपी के जबर्दस्‍त कामयाबी हासिल करने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. इसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी ने उनको ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब दिया. पिछले अगस्‍त में वह पहली बार राज्‍यसभा सदस्‍य बने हैं.

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राजनीतिक विश्‍लेषक मानते हैं कि उनके नेतृत्‍व में पार्टी अपने ‘सुनहरे दौर’ में पहुंची है लेकिन खुद शाह ऐसा नहीं मानते. उनका कहना है कि पार्टी का अभी श्रेष्‍ठतम दौर आना शेष है. वह इसी लक्ष्‍य के साथ कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक बीजेपी का परचम लहराने के लिए अथक प्रयास और यात्राएं कर रहे हैं. कुछ समय पहले ही 2019 चुनावों की व्‍यूह रचना के लिए 110 दिनों का राष्‍ट्रव्‍यापी दौरा किया था. फिलहाल इस वक्‍त अमित शाह, मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान, तेलंगाना और मिजोरम में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की तैयारियों में व्‍यस्‍त हैं.

6 लाख से अधिक किमी की यात्रा
अमित शाह ने पार्टी की कमान संभालने के बाद पिछले चार वर्षों में तकरीबन छह लाख किमी की यात्रा की है. 303 से अधिक आउट स्‍टेशन टूर किए हैं. देश के 680 में से 315 से अधिक जिलों की यात्रा की है.

10 करोड़ से अधिक सदस्‍य
2014 में सत्‍ता में आने के बाद बीजेपी ने सदस्‍यता अभियान शुरू किया और उसका नतीजा यह हुआ कि अगले एक वर्ष के भीतर ही यानी 2015 में पार्टी सदस्‍यों की संख्‍या 10 करोड़ से पार हो गई. इसी सदस्‍यता अभियान के बलबूते बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2014 से पहले बीजेपी के 3.5 करोड़ सदस्‍य थे.

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सोशल इंजीनियरिंग का नया फॉर्मूला
अमित शाह ने बीजेपी के परंपरागत वोटबैंक को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्‍वपूर्ण काम किया है. इसी के चलते बीजेपी को यूपी में 2014 के आम चुनावों में 80 में से 71 और 2017 के राज्‍य विधानसभा चुनावों में 403 में से 312 सीटें मिलीं.

कमजोर कड़ी पर फोकस
2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अमित शाह इस वक्‍त उन राज्‍यों पर फोकस कर रहे हैं जहां बीजेपी की स्थिति कमजोर है. उस कड़ी में केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु ओडिशा और आंध्र प्रदेश में पार्टी की पोजीशन बेहतर करने के लिए 110 दिवसीय राष्‍ट्रव्‍यापी दौरा कर चुके हैं और वहां संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में लगातार लगे हुए हैं. दरअसल अगली बार इन राज्‍यों की कुल 120 लोकसभा सीटें में बड़ी कामयाबी हासिल करना बीजेपी का मकसद है.

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