लंदन। दक्षिण अफ्रीका में एस्ट्रोजेनेका वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। इस देश में सोमवार से इस वैक्सीन के साथ टीकाकरण अभियान शुरू होने वाला था, लेकिन कोरोना के दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट के खिलाफ इस टीके को कम प्रभावी पाए जाने पर यह कदम उठाया गया। इससे कोरोना के नए प्रकारों के खिलाफ टीकों के प्रभाव को लेकर दुनिया के सामने एक नई चिंता पैदा हो गई है। दक्षिण अफ्रीका को भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का दस लाख डोज मुहैया कराया है।
दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री ज्वेली मिखाइज के साथ ही इस देश के कई विज्ञानियों ने कोरोना टीकों के कई परीक्षणों के नतीजों को साझा किया है। लेकिन एस्ट्राजेनेका को लेकर चिंता जताई गई है। यह वैक्सीन बी.1.351 नामक वैरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी पाई गई है। इस वैरिएंट की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में हुई थी। मिखाइज ने कहा कि सोमवार से शुरू होने वाले टीकाकरण को तब तक के लिए रोक दिया गया है, जब तक विज्ञानियों की समिति इस वैक्सीन के साथ आगे बढ़ने का फैसला नहीं करती। उन्होंने बताया कि एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर वैक्सीनों के ट्रायल के पूरे नतीजे एक माह के अंदर सामने आ जाएंगे। दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों के अनुसार, देश में अब तक 14 लाख कोरोना मरीज पाए गए हैं और 44 हजार 399 की मौत हुई है। यहां कोरोना के नए वैरिएंट के मामले बढ़ गए हैं। दक्षिण अफ्रीका में गत एक फरवरी को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दस लाख खुराक पहुंची थी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित और एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन ब्रिटेन में सामने आए वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी पाई गई है। सीएचएडीओएक्स1-एनसीओवी19 टीका विकसित करने वाले विज्ञानियों ने पाया कि यह कोरोना के एक स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी है, जिसे बी.1.1.7 ‘केंट’ कहा जाता है। ब्रिटेन में इस वैरिएंट की पहचान गत दिसंबर में की गई थी।
ऑक्सफोर्ड टीके के परीक्षण संबंधी मुख्य जांचकर्ता एवं बच्चों के संक्रमण एवं प्रतिरक्षण के प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, ब्रिटेन में सीएचएडीओएक्स1 टीके के हमारे परीक्षण डाटा से संकेत मिलता है कि यह न केवल मूल वायरस से बचाता है, बल्कि इसके नए स्वरूप के खिलाफ भी कारगर है।