भोपाल। भोपाल की केंद्रीय जेल में लंबे समय से बंद प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के गुर्गो का नेटवर्क जेल में रहने के दौरान भी काफी सक्रिय है। उन तक सूचनाएं पहुंच रही हैं। स्थिति यह है कि उन्हें पता होता है कि जेल में नई पदस्थापना पर आए अधिकारी या प्रहरी की पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है। नए अधिकारी या प्रहरी से जब पहली मुलाकात होती है तो वह बता देते हैं कि आपके बच्चे उस स्कूल में पढ़ते हैं। इस तरह की जानकारी साझा करने का मतलब सामान्य बातचीत में धमकी देने जैसा होता है।
नए अधिकारी से पहली मुलाकात में कह देते हैं- आपके बच्चे उस स्कूल में पढ़ते हैं
अधिकारियों का कहना है कि सिमी के गुर्गे कई बार अधिकारियों और प्रहरियों के परिवार के सदस्यों के बारे में इतनी सहजता से चर्चा करते हैं कि लगता है जैसे रोज मुलाकात होती हो। ऐसी चर्चा की मंशा सामान्य शिष्टाचार नहीं, बल्कि अघोषित तौर पर धमकी देना होता है। गुर्गे यह जताना चाहते हैं कि जेल में रहने के दौरान भी उनके पास सारी जानकारी है। इसके अलावा घोषित तौर पर धमकाना आम बात है। जिन बैरकों में सिमी के 28 गुर्गे बंद हैं, वहां के प्रहरी काफी परेशान रहते हैं। अनुचित मांगें पूरी नहीं होने पर अभद्रता भी की जाती है। मालूम हो, केंद्रीय जेल में बंद सिमी के 28 बंदियों में से नौ विचाराधीन तो 19 सजायाफ्ता हैं। इनमें से पांच बंदियों ने अनुचित मांगें मनवाने के लिए खाना-पीना छोड़ रखा है।
जेल में बंदियों की तलाशी सामान्य प्रक्रिया है। आए दिन आपत्तिजनक वस्तुओं की प़़डताल के लिए तलाशी अभियान चलाया जाता है। सिमी गुर्गो के बैरक की तलाशी लेने में काफी दिक्कत आती है। प्रहरियों के बैरक में आते ही विरोध किया जाता है। अपशब्द कहे जाते हैं और अपने सामान को हाथ लगाने से रोका जाता है। इनकी बैरक की तलाशी में हर बार प्रहरियों और जेल अधिकारियों को सख्ती करनी पड़ती है। सूत्रों का कहना है कि ये गुर्गे प्रहरियों और अधिकारियों को अपने आतंकी किस्से सुनाते रहते हैं।
केंद्रीय जेल भोपाल के जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे का कहना है कि यह सही है कि सिमी से जुड़े बंदियों द्वारा धमकाया जाता है। प्रहरियों से विवाद भी होते हैं। मानवाधिकार मामलों को लेकर इनके द्वारा की गई शिकायतों की सूची काफी लंबी है। हालांकि इनके साथ जेल नियमों के अनुसार ही व्यवहार किया जाता है।