नई दिल्ली। ‘किसान आंदोलन’ की आड़ में अंतरराष्ट्रीय साजिश का पर्दाफाश होने के बाद कला और खेल क्षेत्र की नामचीन हस्तियों ने इसका विरोध करते हुए देश के प्रति एकजुटता दिखाई थी। लिबरल लॉबी को यह बेहद नागवार गुजरी। इसके बाद से ही एकजुटता दिखाने वाली हस्तियाँ, खासकर सचिन तेंदुलकर इनके निशाने पर हैं।
‘कारवाँ मैगजीन’ ने एक लेख में तेंदुलकर को सत्ता के सामने झुकने वाला व्यक्ति करार दिया है। वो भी तब, जब महाराष्ट्र की सरकार इन ट्वीट्स की जाँच कर रही है। लेख में सचिन तेंदुलकर को नैतिक रूप से डरपोक बताते हुए CAA विरोध-प्रदर्शन के दौरान उनकी चुप्पी पर सवाल खड़े किए गए हैं। इस लेख को वैभव वत्स ने लिखा है, जो शनिवार (फरवरी 13, 2021) को प्रकाशित हुआ।
किसी डच इतिहासकार की पुस्तक से उद्धरण लेकर लिखा गया है कि एक तानाशाह अपने आसपास के लोगों को झूठा बना देता है। भारत के पक्ष में सेलेब्रिटीज के ट्वीट्स को मोदी काल का पाखंड बताते हुए लिखा गया है कि उन्होंने सत्ता के नौकरों की तरह बर्ताव किया। इसमें सचिन के बारे में लिखा है कि वो एक बड़े सार्वजनिक छवि वाले व्यक्ति हैं, जिनके खिलाफ कोई सरकार किसी प्रकार की कार्रवाई करते दिखना नहीं चाहेगी।
इसमें इस पर एकदम से चुप्पी साध ली गई है कि सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर जैसे ‘भारत रत्न’ से सम्मानित व्यक्तियों के खिलाफ भी महाराष्ट्र की शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी सरकार जाँच करवा रही है। उनके मुकेश अम्बानी के साथ संबंधों की बात करते हुए लिखा गया है कि मध्यम वर्ग में उनकी परवरिश हुई है और मुंबई में इस तरह के लोग हमेशा सत्ताधारियों के सामने झुकते हैं। कारवाँ ने लिखा है कि क्रिकेट हो या राजनीति, सचिन शक्तिशाली लोगों से डरते हैं।
Article in Caravan mocks Sachin Tendulkar apparently for not being able to rise above his “lower-middle class” origins
Good that the author left a 2 line bio pointing out that he is an important man whose work has appeared in NYT
Btw, Sachin leaves his Twitter bio empty. Loser!
— Abhishek (@AbhishBanerj) February 15, 2021
उन्हें चेतावनी दी गई है कि अगर वो ‘नैतिक मूल्यों’ को नजरअंदाज करेंगे तो फिर उन्हें जीवन भर इस तरह सेलेब्रिटी वाला स्टेटस नहीं मिलेगा। सचिन पर निशाना साधने के क्रम में मध्यम वर्ग को ‘बौद्धिक रूप से खाली, मानवाधिकार और लोकतंत्र के प्रति उदासीन तथा लोगों के हितों की उपेक्षा करने वाला’ बताया है। सचिन को बचकाना बताते हुए उनकी आत्मकथा को दिमाग खराब कर देने वाली तुच्छता कहा गया है।
कारवाँ में लिखा गया है कि सचिन ने अपनी पुस्तक में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं कहा। साथ ही अक्षय कुमार पर निशाना साधते हुए तेंदुलकर को उन्हीं की श्रेणी में जाने वाला बताया गया है। समाज और दुनिया के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठाए गए हैं। उन्हें रिलायंस के मुंबई इंडियंस का ‘कर्मचारी’ बताते हुए अम्बानी के सामने दण्डवत होने वाला बताया गया है। वसीम जाफर का समर्थन न करने को लेकर भी नाराजगी जताई गई है।
इससे पहले कॉन्ग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने तेंदुलकर पर हमला करते हुए कहा था कि वे ‘भारत रत्न के लायक नहीं हैं’। साथ ही दावा किया था कि सचिन अपने बेटे को आईपीएल टीम में जगह दिलाने के लिए सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इसी तरह केरल के कोच्चि में युवा कॉन्ग्रेस के सदस्यों ने विरोध जताते हुए सचिन तेंदुलकर के कट आउट पर कालिख पोत दी थी। उनके खिलाफ जम कर नारेबाजी भी की गई थी।