देहरादून। उत्तराखंड की पौड़ी-गढ़वाल संसदीय सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाने का पार्टी ने फैसला किया है. संघ की पृष्ठभूमि और छात्र राजनीति से सियासी सफर शुरू करने वाले तीरथ सिंह रावत जमीनी नेता माने जाते हैं और अब उनके ऊपर अगले साल होने वाले उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंप दी है.
तीरथ सिंह रावत का गांव की पगडंडियों से शुरू हुआ उनका यह सफर धैर्य, सहनशीलता, कर्मठ कार्यकर्ता की उनकी छवि को और मजबूत बना गया. बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी से राजनीति शुरू करने वाले तीरथ का अभिभाजित उत्तर प्रदेश और उसके बाद उत्तराखंड की राजनीति में दखल रखते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पौड़ी-गढ़वाल सीट पर बीएस खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को करीब तीन लाख मतों से मात देकर सांसद बने थे, लेकिन बीजेपी ने अब उन्हें त्रिवेंद्र सिंह रावत के विकल्प के रूप में राज्य की सत्ता की कमान सौंपी है.
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लाक के सीरों गांव के मूल निवासी तीरथ रावत का राजनीतिक सफर संघर्षपूर्ण रहा है. तीरथ सिंह रावत क जन्म 9 अप्रैल 1964 को हुआ. उनके पिता का नाम कलम सिंह रावत और मां नाम गौरी देवी है. तीरथ अपने भाइयों में सबसे छोटे हैं. उन्होंने छात्र जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़ गए थे. महज 20 साल की उम्र में साल 1983 में वो संघ के प्रांत प्रचारक बन गए थे और पांच साल चल 1988 तक रहे. रामजन्मभूमि आंदोलन में दो माह तक जेल में रहे तीरथ ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई.
साल 1997 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए. इसके बाद पृथक राज्य उत्तराखंड का गठन होने पर वर्ष 2000 में राज्य की अंतरिम सरकार में तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के पहले शिक्षा मंत्री बने. साल 2007 में बीजेपी प्रदेश महामंत्री, प्रदेश सदस्यता प्रमुख, आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष चुने गए. साल 2012 में विधानसभा बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता हार गए थे, लेकिन तीरथ सिंह रावत चौबट्टाखाल से विधायकी जीतने में कामयाब रहे.
तीरथ सिंह रावत के दूसरी बार विधायक चुने के बाद पार्टी ने उनके कंधों पर अहम जिम्मेदारी सौंपी. साल 2013 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया और 2015 तक रहे. साल 2017 में सिटिंग विधायक होते हुए टिकट कटने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी. हिमाचल प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाली थी, जहां की चारों लोकसभा सीटें जिताकर पार्टी में खुद के कद को और मजबूत किया. इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने तीरथ को गढ़वाल सीट से उतारा और वे जीतकर संसद पहुंचे और आज मुख्यमंत्री का ताज उनके सिर सज रहा है.