बर्लिन। फ्रांस ने अंतरिक्ष में सैन्य अभ्यास की शुरुआत कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्पेस पावर बनने की कवायद शुरू कर दी है। इस स्पेस एक्सरसाइज का मकसद भयंकर युद्ध की स्थिति में अपने सेटेलाइट्स और दूसरे उपकरणों की रक्षा करना और उसके लिए बनाए गए अपने स्पेस कमांड की क्षमता के बारे में जानना है। इस स्पेस कमांड के चीफ माइकल फ्रीडलिंग का कहना है कि इससे ये पता चलेगा कि दबाव पड़ने पर देश की प्रणालियां किस तरह से काम करती हैं। उनके मुताबिक फ्रांस का दूसरा अभ्यास है। यूरोप में इस तरह का अभ्यास करने वाला फ्रांस पहला देश है।
फ्रांस ने इस एक्सरसाइज को अपने पहले उपग्रह एस्टरएक्स के नाम पर नाम दिया गया है। इस सेटेलाइट को 1965 में छोड़ा गया था। इस मिशन के तहत 18 स्पेस मिशन का टेस्टिंग के तौर पर संचालन किया जाएगा। फ्रीडलिंग का कहना है कि इस एक्सरसाइज के दौरान ऐसे हालात पैदा किए जाएंगे जो हमारे स्पेस में मौजूद सेटेलाइट और उसके बुनियादी ढांचे के लिए खतरा बनेंगी। हालांकि ये बेहद सीमित दायरे में किया जाएगा। इसको करते हुए विशेषतौर पर इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि इससे दूसरे देशों की सेटेलाइट किसी भी तरह से प्रभावित न हो सकें।
इस पूरी एक्सरसाइज के दौरान सेना लगातार हालात का जायजा लेती रहेगी। इस अभ्यास में फ्रांस के साथ जर्मनी की स्पेस एजेंसी भी हिस्सा ले रही है। ये मिशन शुक्रवार को पूरा होगा। गौरतलब है कि फ्रांस में स्पेस फोर्स का गठन दो वर्ष पहले 2019 में किया गया था। 2025 तक इसको विस्तार करने की योजना है जिसमें करीब 500 कर्मी होंगे। फ्रांस सरकार का कहना है कि आगामी छह वर्षों में इस मिशन पर करीब 5 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। वर्तमान में अमेरिका और चीन इस पर काफी खर्च कर रहे हैं। फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने बताया है कि फ्रांस के सहयोगी और गैर सहयोगी देश इस दिशा में कदम आगे बढ़ा चुके हैं। ऐसे में फ्रांस को भी इसमें पीछे नहीं रहना होगा। इस दिशा में काफी काम करने की जरूरत है। फ्रांस ने अंतरिक्ष में अपनी निगरानी क्षमताओं में सुधार करने के लिए एंटी सेटेलाइट लेजर वैपंस को विकसित करने की भी एक योजना तैयार की है। फ्रांस का मानना है कि भविष्य में अंतरिक्ष में टकराव के रास्ते से दूर नहीं होगा।