पटना। सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना इन दिनों सुर्खियों में हैं. उनपर हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग कारोबारी मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में घूस लेने का आरोप लगा है. सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया है. उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है. शुरुआती दौर में अस्थाना की पहचान एक सख्त अधिकारी के तौर थी. कहा जाता है कि जिस वक्त वह बिहार-झारखंड के बहुचर्चित चारा घोटाला की जांच कर रहे थे उस समय राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) समर्थकों के बीच वह सदैव चर्चा का विषय बने रहते थे.
1961 में रांची में जन्मे राकेश अस्थाना चारा घोटाले के जांच के शुरुआती दिनों में धनबाद में सीबीआई के एसपी पद पर पोस्टेड थे और मामले की जांच कर रहे थे. उस दौर में बिहार में लालू यादव का इकबाल बुलंदियों पर था. गुजरात काडर के अस्थाना के लिए आसान नहीं था उनके खिलाफ जांच करना. उन्हें सीबीआई के त्त्कालीन ज्वाइंट डायरेक्ट यूएन विश्वास का फेवरेट ऑफिसर माना जाता था.
अस्थाना जब वह लालू यादव से पूछताछ के सिलसिले में धनबाद से पटना पहुंचे थे तो लालू समर्थकों में उनकी चर्चा तेज हो गई. आरजेडी के कार्यकर्ता और नेता अस्थाना की सख्ती की कहानी पहले ही सुन चुके थे. इसलिए वह अपने नेता को लगातार उनसे मिलने के लिए रोक रहे थे. उस समय आरजेडी कार्यकर्ताओं के बीच अस्थाना की सख्ती को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं थी.
अस्थाना ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की. 1997 में उनके समय ही लालू यादव पहली बार गिरफ्तार भी हुए. अस्थाना को मूल रूप से लालू से पूछताछ के लिए ही जाना जाता है. 1997 को उन्होंने चारा घोटाले में लालू से 6 घंटे तक पूछताछ की थी. अस्थाना ने ही धनबाद में डीजीएमएस के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ा था. उस समय तक पूरे देश में अपने तरीके का यह पहला मामला था, जब महानिदेशक स्तर के अधिकारी सीबीआई गिरफ्त में आया था.