नई दिल्ली। जांच एजेंसी सीबीआई की अंदरूनी लड़ाई अब कोर्टरूम में जा पहुंची है. अचानक छुट्टी पर भेजे जाने से नाराज आलोक वर्मा ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आलोक वर्मा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बुधवार (24 अक्टूबर) सुबह 6:00 बजे वर्मा को उनके पद से हटाते हुए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है जो कि गलत है और केंद्र सरकार का फैसला असंवैधानिक है.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ आलोक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. आलोक वर्मा के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा.
छुट्टी पर भेजे गए आलोक और राकेश अस्थाना
बता दें कि सीबीआई में मचे अंदरूनी घमासान के बाद प्रमुख आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को अचानक छुट्टी पर भेज दिया गया है. इतना ही नहीं दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजते हुए सीबीआई हेड क्वाटर में स्थिति दोनों के ऑफिस को सील कर दिया गया है. वहीं ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया है. अग्रिम आदेशों तक अब सीबीआई का संचालन एम नागेश्वर राव करेंगे.
कौन हैं सीबीआई चीफ आलोक वर्मा
आलोक वर्मा 1979 बैच के यूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. आलोक ने मौजूदा पोस्टिंग से पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कमान संभाली थी. दिल्ली के पुलिस कमिश्नर रहने के बाद 1 फरवरी 2017 को उन्हें सीबीआई के चीफ पद पर नियुक्त किया गया था. उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के अलावा दिल्ली पुलिस में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इनमें डीसीपी (साउथ), जेसीपी (क्राइम ब्रांच), जेसीपी (नई दिल्ली रेंज), स्पेशल पुलिस कमिश्नर (इंटेलिजेंस) और स्पेशल पुलिस कमिश्नर (विजिलेंस) शामिल हैं.
सीबीआई ने अपने निदेशक आलोक वर्मा का विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के आरोपों से बचाव करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मिथ्या और दुर्भावनापूर्ण हैं. अस्थाना ने कैबिनेट सचिव और केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिख कर सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के कम से कम 10 मामलों का जिक्र किया था.
सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि सतीश सना के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी होने की जानकारी सीबीआई के निदेशक को नहीं थी. इस तरह के लगाए गए कई अन्य आरोप सही नहीं हैं. उन्होंने कहा, डीसीबीआई ने 21 मई, 2018 को एलओसी जारी करने के प्रस्ताव को देखा और उसे ठीक भी किया था. उन्होंने कहा कि यह आरोप कि सीबीआई के निदेशक ने सना की गिरफ्तारी को रोकने का प्रयास किया था, पूरी तरह से झूठ और दुर्भावनापूर्ण है.