कब आ सकती है कोविड की तीसरी वेब? केरल का बुरा हाल: जानिए क्या कहता है IIT प्रो. मणींद्र का गणितीय मॉडल

नई दिल्ली। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल और उनकी टीम कोरोना की पहली लहर से ही संक्रमण की रफ्तार के आकलन पर काम कर रही है। उन्होंने इसके लिए अपना गणितीय मॉडल ‘सूत्र’ ईजाद किया है। प्रो. अग्रवाल और उनकी टीम कोरोना फर्स्ट वेव और सेकेंड वेव को लेकर कई सटीक आकलन कर चुकी है। उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर भी आकलन किया है।

प्रो. मणींद्र का कहना है कि अगर हमने यूँ ही संयम, एहतियात और सजगता बरती तो इस माह के अंत तक देश में रोजाना आने वाले कोरोना संक्रमितों की संख्या घटकर करीब 22 हजार रह जाएगी। उनका कहना है कि देश में कोरोना के नए मामलों की रफ्तार घटी है और जो इस वायरस से संक्रमित हो भी रहे हैं, वे जल्दी स्वस्थ हो जा रहे हैं।

तीसरी लहर के आने का अंदेशा बहुत ही कम है

प्रो. अग्रवाल के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर के आने का अंदेशा बहुत ही कम है। अगर वायरस का कोई नया वैरिएंट आता है तभी तीसरी लहर आएगी, लेकिन कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए एहतियात जरूरी है। टीकाकरण अभियान में और तेजी लानी होगी। उन्होंने चेताया भी है कि यदि कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ तो संक्रमण की यथास्थिति बनी रहने, बल्कि बढ़ने का भी अंदेशा है।

स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बताती है हर्ड इम्युनिटी

प्रोफेसर और उनकी टीम का कहना है कि कोरोना टीकाकरण व पूर्व में संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हुए लोगों की संख्या को देखकर कह सकते हैं कि लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में दूसरी लहर के दौरान काफी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आ गए थे। उनके अंदर एंटीबॉडी तैयार हो गई है, जबकि टीकाकरण भी रक्षा करेगा।

मणींद्र अग्रवाल ने ट्वीट किया है कि 15 अगस्त तक केरल में प्रतिदिन 25 हजार केस आने का अनुमान है। यह स्थिति 20 से 22 अगस्त तक रहेगी, उसके बाद केस घटेंगे। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में रोज 1800 से 2000 के बीच नए मरीज आ सकते हैं। इसमें गिरावट अगस्त के दूसरे हफ्ते से होगी। आपको बता दें कि इससे पहले प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कोरोना की दूसरी लहर के पीक और उसके डिक्लाइन को लेकर जो आकलन किया था वह तकरीबन सही साबित हुआ था।

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “वर्तमान में लगभग 52% सेरोपोसिटिविटी और लगभग पूरी आबादी में फैली महामारी के साथ इम्युनिटी तक पहुँचने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना है। अब दो विकल्प उपलब्ध हैं: पहला कि लॉकडाउन के जरिए कम से कम लोगों के संपर्क में आएँ या फिर लॉकडाउन हटा कर इसे फैलने दें।”