भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए शनिवार को जारी कांग्रेस के घोषणा पत्र में सॉफ्ट हिन्दुत्व की झलक देखने को मिली. लेकिन साथ ही कांग्रेस ने राज्य की सरकारी इमारतों और परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं पर पाबंदी लगाने की घोषणा कर पार्टी और अध्यक्ष राहुल गांधी के उन दावों को और मजबूत कर दिया जिसमें वो आरएसएस पर नफरत फैलाने के आरोप लगाते रहे हैं. इस बीच बीजेपी ने कांग्रेस के इस ऐलान पर आपत्ति जताई है.
कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा है कि यदि पार्टी मध्य प्रदेश की सत्ता में आती है तो सरकारी इमारतों और परिसरों में आरएसएस की शाखा लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी. सरकारी कर्मचारियों के शाखा में हिस्सा लेने की अनुमति देने के आदेश को भी रद्द कर दिया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर संघ पर निशाना साधते रहते हैं. मध्य प्रदेश चुनावों में शाखा के खिलाफ घोषणा करना राहुल गांधी के नजरिये का विस्तार माना जा रहा है.
बीजेपी ने जताई आपत्ति
कांग्रेस के वचनपत्र में शासकीय भवनों में RSS की शाखा पर रोक लगाने के वादे पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी प्रवक्ता और भोपाल से बीजेपी सांसद आलोक संजर ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस को संघ के बारे में पहले समझना चाहिए. उसका सूक्ष्म परीक्षण करना चाहिए. उसके बाद वो ऐसी बात नही करेंगे. संजर ने कांग्रेस के शासकीय भवनों में आरएसएस की शाखा लगाने के आरोप को भी गलत बताया. उन्होंने कहा कि आरएसएस की शाखाएं मैदान में लगती हैं या फिर संघ की अपनी सम्पत्तियों में ना कि शासकीय भवनों में.
संजर ने कहा कि आरएसएस की शाखाओं में राष्ट्रवाद सिखाया जाता है और कांग्रेस को याद दिलाना चाहूंगा कि देश में कोई आपदा आती है तो सबसे पहले संघ का स्वयंसेवक पहुंचता है. वहीं आरएसएस की शाखा में सरकारी कर्मचारियों पर रोक लगाने के वादे पर भी बीजेपी ने सवाल उठाया है कि सरकारी कर्मचारियों पर रोक लगाने की बात क्यों की? ये लोकतंत्र है. कोई भी किसी के विचार से जुड़ सकता है.’
मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणक अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि आरएसएस की शाखा में जाने के बाद अपने दफ्तरों में कर्मचारियों के बीच ज़हर फैलाने का काम करते हैं और लोगों ने भेद करते हैं. इसलिए कांग्रेस ने आरएसएस की शाखाओं में शासकीय कर्मचारियों के जाने पर रोक लगाने की बात अपने वचन पत्र में लिखी है.