*राजनीति के इतिहास में लिखेगा एक और नया अध्याय जन अधिकार पार्टी भी खोलेगी खाता*
*जातिगत समीकरण व जनसहानुभूति के कारण तथा ‘जाप’ का साथ मिलने से लोधी महेंद्रपाल वर्मा का बढ़ा क्रेज*
* 70 सालों से यह जिला मूलभूत सुविधाओं से वंचित,बड़े दलों से जनता का हो चुका मोहभंग*
* जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी लोधी महेंद्रपाल वर्मा के निरंतर पंचवर्षीय संघर्षों के कारण, भारी जन समर्थन मिलने के आसार*
राहुल कुमार गुप्त
पन्ना! हाँ! पन्ना, मध्य प्रदेश विधानसभा का वह क्षेत्र जो अगामी भारतीय राजनीति में एक इंकलाब लाने वाला है, हर एक मेहनतकश व क्षेत्र की सेवा करने वाले नेता की प्रेरणा बनने वाला है, जो वास्तव में जनसमस्याओं का निराकरण करने वाला व जनहितैषी है, अब जनता उसे सम्मान देकर इतिहास रचने वाली है। इस सकारात्मक राजनीति के इतिहास का प्रणेता बनने वाला है सदर पन्ना ! पन्ना की जनता के नाम होगा राजनीति के इतिहास का यह स्वर्णिम पल। जो दलों के मोह से निकलकर अब एक व्यक्ति पर आस व विश्वास कर रही है। और करे भी क्यों न। जब पाँच वर्षों से वो व्यक्ति निरंतर जनसेवा के कार्यों में संघर्षरत है। वहीं सत्ताधारियों ने यहाँ सदा जनता से मुँह फेरा है। जिला होने के बावजूद 70 सालों से पिछड़ा रहा यह क्षेत्र। ऐसे में अब दो बड़े दलों से पन्ना की जनता का मोह भंग हो रहा है।
सैकड़ों वर्षों से यहाँ चली आ रही सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ और समतावाद लाने के लिये जिसने ठान रखी है, वो अपने इन्हीं मानवीय गुणों के कारण अल्पसमय में ही मध्य प्रदेश की पन्ना व आसपास की विधानसभा सीट में पिछले चुनाव में बीएसपी को भारी मात्रा में मत दिलवाने व कहीं-कहीं उसे उपविजेता बनवाने का श्रेयकर है।
पन्ना में पाँच सालों से गूँज रहे एक नाम ‘लोधी महेंद्रपाल वर्मा’ यहाँ के जन-जन की आस बन चुके थे। कर्मनिष्ठता, ईमानदारी से मेहनत, व्यवहार, कार्यशैली व जनता के लिये निःस्वार्थ प्रेम के चलते पन्ना के आदिवासी, दलित, पिछड़े, मुस्लिम तो पिछले पाँच वर्षों से लोधी महेंद्रपाल वर्मा पे विश्वास जता रहे हैं। वर्मा के वचनबद्ध सिद्धांतों व हर वर्ग को सम्मान देने के चलते सवर्ण भी वर्मा के पक्ष में लामबंद होते नज़र आने लगे हैं।
बसपा का करोड़ों में टिकट बेचना तो उजागर ही था, इसके भुक्तभोगियों की संख्या हजारों में है। यही वजह है कि खुद को दलित की बेटी कहने वाली बसपा सुप्रीमो को लोग दौलत की बेटी के उपनाम से सम्बोधित करने लगे। दलितों पर अपना एकाधिकार समझने व मान लेने के कारण यह दल अब थोक रूप में दलित वर्गों के मत का ऊपर ही ऊपर सौदा कर लेते हैं। खुद को बड़ा बनाने तक दलितों के लिये कहीं न कहीं जरूर कुछ कर जाने की महात्वाकांक्षाएं थीं किन्तु जैसे ही वो बड़े बन गये और दलितजनों ने आँख मूँदकर उनको अपना नेता मान लिया तब से लेकर अब तक टिकटों की सौदागिरी होती आई है।मध्य प्रदेश व खासकर पन्ना के लोगों ने भी बसपा के वोटों के व्यापार को साक्षात देख लिया।
नामांकन के आखिरी दिन की पूर्वसंध्या को पन्ना से बसपा प्रत्याशी लोधी महेंद्रपाल वर्मा को घोषित किया जाता है। वजह थी कि वर्मा यहाँ आमजनों में प्रसिद्ध होने के साथ-साथ पिछले चुनाव में अल्पसमय में ही शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को तीसरे पर करके खुद को दूसरे स्थान पर स्थापित कर दिया था।
वर्मा का बसपा से प्रत्याशी घोषित हो जाना पन्ना व नीचेघाटी के लोगों में उत्साह भर गया क्योंकि बसपा से सबको यही आस थी। किन्तु ऐन वक्त नामांकन के अंतिम दिन ही लोधी महेंद्रपाल वर्मा की लगन, मेहनत व संघर्षों को दरकिनार कर बसपा ने अपनी जिती-जिताई सीट पैसों के आगे न्योछावर कर दी। अगर यह केवल व्यापार होता तो वाजिब था किन्तु यहाँ लाखों लोगों की उम्मीदों के साथ धोखा हुआ था। जिसे यहाँ के लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं। पूर्व के सभी बसपा समर्थक कहीं खुले रूप से तो कहीं अंदरखाने से लोधी महेंद्रपाल वर्मा के पक्ष में ईमानदारी और लगन के साथ प्रचार-प्रसार करने लगे। दिन प्रति दिन लोगों की सहानुभूति वर्मा के साथ बढ़ती हुई प्रतीत होने लगी। जिससे प्रतिद्वंद्वियों के खेमों में बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक थी।
जिसके चलते बहुत सी अफवाहों का बाजार भी पन्ना को बनाया जा रहा है लेकिन यही अफवाहें पन्ना के आमजनों को वर्मा के साथ जोड़ने के लिये और प्रेरित करने लगीं। जिससे वर्मा के पक्ष में चुनाव का माहौल नज़र आने लगा है।
यूपी में मिशन से भटकी बसपा को धरातल में लाने का मुख्य श्रेय जन अधिकार पार्टी के संस्थापक बाबूसिंह कुशवाहा को ही प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से है। सही मायनों में कांशीराम के बड़े अनुयायियों में एक, पिछड़े, दलित व वंचितों के नेता के रूप में पहचाने जानेवाले नेता बाबूसिंह कुशवाहा की पकड़ यूपी, एमपी, बिहार व महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में है । कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी आदि अतिपिछड़े समाज की अधिक्तर आस्था बाबूसिंह कुशवाहा पर ही है।
पन्ना में लोधी महेंद्रपाल वर्मा को जन अधिकार पार्टी से प्रत्याशी बनाकर इस सीट के अलावा सागर संभाग की कई सीटों पर निशाना साधा गया है। बसपा के कुचक्र को यहाँ के लोगों ने खुली आँखों से देखा है। यहां बसपा की मंशा खुद के जीतने की नहीं बल्कि किसी बड़े दल को जिताने की है यह यहाँ के लोग बाखूबी भांप चुके हैं। जन अधिकार पार्टी से प्रत्याशी घोषित होने पर पन्ना विधानसभा क्षेत्र के कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी व पटेल मतदाता खुलकर लोधी महेंद्रपाल वर्मा के पक्ष में अपना मूड़ बना लिया है। वहीं पन्ना में जनसमस्याओं के निराकरण के लिये वर्मा के पाँच वर्षों के अभूतपूर्व संघर्ष ने प्रत्येक वर्ग के लोगों को अपना बना लिया है। ब्राह्मण बाहुल्य इस क्षेत्र में प्रत्येक बड़े दल से इनको नज़रअंदाज करना भी सबको भारी पड़ने वाला है। ब्राह्मण मतदाताओं का भी रुझान जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी लोधी महेंद्रपाल वर्मा की ओर हो गया है जिससे वर्मा के पक्ष में जीत की ‘डोली’ उठने के कयास पन्ना के जन-जन लगा रहे हैं। अगर आमजन के यह कयास सही साबित होते हैं तो पन्ना राजनीति के इतिहास में एक नया इतिहास लिखेगा। पन्ना आज के दौर में सकारात्मक राजनीत के प्रणेता के रूप में पहचाना जाने लगेगा।
जन अधिकार पार्टी का आगाज क्यों?
उनके पास आधार की ताकत है, वो जब बनेंगे सदियों तक के लिये बनेंगे। आंधियों से वो लड़खड़ा जाते हैं जिनके पास मजबूत आधार नहीं। यहां वो शख्स हैं जो तुफानों से भी डगमगाये तक नहीं वजह उनका सब्र और उनकी ईमानदारी, आमजन के लिये कुछ कर जाने की लगन। वो वास्तव में सिर्फ साजिश का शिकार हुए थे क्योंकि साजिशकर्ताओं को यही डर था। कि इस बंदे की सादगी, मानवता और आमजन तथा अतिपिछड़ों में एक बड़ी पकड़ की वजह से इनकी नींव बड़ी मजबूत है। इनके पीछे एक बड़ी ताकत है। कहीं सत्ता सदियों के लिये इनकी हमसफर न बन जाये। तथा सामंती ताकतों के कलियुगी कर्मकाण्डों के बीच में बन रहे अवरोध की वजह से भी इनको हटाने की एक कुटिल साजिश की गयी।। बड़े अधिकारियों की सरेआम दिनदहाड़े हत्याओं को तथा इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले को दबाने के लिये घोटाले के जिन्न को निकालकर सामंतों ने अपने लिये तो सबकुछ ठीक कर लिया। पर एक बेगुनाह और आमजन के नायक को फंसा दिया गया। इनकी बेगुनाही और दोषियों के गुनाह का खुलासा करने वाले एक अधिकारी को जेल में ही मरवा दिया गया।। पर ईश्वर के घर देर जरूर हो सकती है अंधेर नहीं। विधान सभा और लोकसभा दोनों चुनावों पर हाशिये पर आकर खड़ी हो गयी प्रदेश की एक बड़ी पार्टी। अब अपना अस्तित्व बचाने के लिये हर गलत- सही मंजूर है के फार्मूले से आगे बढ़ने की फिराक में है। इस प्रयोग से आगे बढ़ तो सकते हो पर यह बढ़ना अस्थाई ही होगा उत्तरोत्तर नहीं, क्योंकि उत्तरोत्तर प्रगति करने वाले को आपने इस वजह से अलग कर दिया कि उन कुछ लोगों को बचा सकें जो न तो आपके थे न आमजन के लिये कतई थे।।
जुर्म गर देखा जाये तो बस इतना कि सामंतशाही के प्रति अवरोध के रूप में खड़े होना था…
इस पर साजिश पे साजिश के चिरागों को मसला गया और घोटाले को जिन्न निकालकर तत्कालीन सत्ता ने अपने मन मुताबिक सब सही कर लिया। उसके इस सही पर एक बेगुनाह चार साल से जेल में। स्वतंत्र भारतीय न्याय का यही एकमात्र नमूना था जो अपने आप में एक इतिहास लिख गया है। खैर इसके लिये माननीय न्यायालय द्वारा सीबीआई के कार्य कलापों पर डांट भी पड़ी और जमानत पर एक निर्दोष का आमजन के नायक का बाहर आना.. लोगों में हर्ष भर गया, गाजियाबाद से लखनऊ तक की फिजायें लाल झंडे और लाल टोपियों से लाल सी हो चुकी थीं, हवाओं में एक ही नारा गूंज रहा था ” बाबूजी संघर्ष करो हम आपके साथ हैं “। ” “बाबूजी का सब्र न टूटा जेल के ताले टूट गये”।
14% वोट की ताकत को समेटने में जुटे तो राजनीतिक गलियारों में हलचल सी मच गयी। यूपी विधानसभा 2017 के चुनावों में वो प्रचार-प्रसार भी न कर पाये उन्हें पुनः न जाने कितनी बार जमानत के बावजूद जेल जाना पड़ा। आखिर यह सब क्यों सह रहे हैं क्यों न और नेताओं की तरह मौकापरस्ती का फायदा उठाकर कोई लाभ का पद ले लेते। लेकिन अपने लिये संघर्ष की राह क्यों चुनी!! वजह अतिपिछड़ों व आमजनों को उनका सही हक मिले अतिपिछड़े समाज व दलित वंचित समाज के लोग जागरूक हो सकें। यह लड़ाई अब बाबूसिंह कुशवाहा की खुद की नहीं है यह अतिपिछड़ों और वंचितों की हक के लिये जंग है जो निरंतर जारी रहेगी जब तक उन्हें उनका सही हक मुक्कमल नहीं हो जाता। और इन्हीं हकों इन्हीं अधिकारों के लिये खड़ी की गयी है जन अधिकार पार्टी।। जो आने वाले वक्त में नये आयाम जरूर स्थापित करेगी। क्योंकि इनकी नींव आमजन अतिपिछड़ों व वंचितों के सच्ची लगन व मेहनत से बन रही है, जोकि देश-प्रदेश में एक बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं।। देश-प्रदेश को एक नये युग की शुरुआत का इंतजार है। जो जन अधिकार पार्टी के सत्ता में हिस्सेदारी से शुरू होगा।
मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा 2018 के चुनाव में यूपी से सटे कई विधानसभा क्षेत्रों में जन अधिकार पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जिनकी तैयारी मात्र दो या तीन माह की ही होगी किन्तु इन प्रत्याशियों ने कई जगह बड़े दलों के प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़ रखे हैं व कुछ जगह चुनावी जंग जीतने की स्थिति में हैं।